बॉम्बे हाईकोर्ट ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (DHFL) को सीबीआई द्वारा उसके पूर्व निदेशकों कपिल और धीरज वधावन और Yes Bank के संस्थापक राणा कपूर के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के मामले में बुधवार को आरोपमुक्त करते हुए उसके विरुद्ध कार्यवाही को बंद कर दिया. न्यायमूर्ति एस के शिंदे की एकल पीठ ने विशेष सीबीआई अदालत के इस साल अगस्त के एक फैसले को चुनौती देने वाली डीएचएफएल की याचिका को स्वीकार कर लिया. सीबीआई अदालत ने उसे आरोपमुक्त करने के उसके अनुरोध को खारिज कर दिया था.
कंपनी ने वरिष्ठ वकील रवि कदम के माध्यम से उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में दलील दी थी कि चूंकि पिरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस ने उसका अधिग्रहण कर लिया था, इसलिए उसे पिछली सभी देनदारियों से मुक्त किया जाना चाहिए. इससे पहले सीबीआई के वकील हितेन वेनेगांवकर ने अदालत में कंपनी की याचिका का जोरदार विरोध किया था.
ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूर्व प्रमोटर्स को किया था गिरफ्तार
बता दें कि पिछले साल मई में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कपिल और धीरज वाधवान को गिरफ्तार किया था. यह गिरफ्तारी यस बैंक के संस्थापक और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के मामले में हुई थी. है. इसी मामले में सीबीआई ने भी केस दर्ज किया था.
बता दें कि संभावना जताई गई थी कि यस बैंक के 34,000 करोड़ रुपये के फंसे कर्ज का बड़ा हिस्सा 10 बड़े कारोबारी समूहों की 44 कंपनियों से जुड़े होने की संभावना है. इसमें अनिल अंबानी रिलायंस समूह, एस्सल समूह, आईएलएफएस, डीएचएफएल, कॉक्स एंड किंग्स और भारती इंफ्रा शामिल हैं. ईडी ने यस बैंक के प्रवर्तक राण कपूर और उनके परिवार पर 4,300 करोड़ रुपये की अपराध की कमाई का धन शोधन करने का आरोप लगाया है.
यह राशि उन्हें कथित तौर पर बैंक के जरिये इन कंपनियों को बड़ा कर्ज उपलब्ध कराने के एवज में रिश्वत के तौर पर दी गई. दिया गया कर्ज बाद में गैर-निषपादित राशि (एनपीए) हो गया. जिससे यस बैंक संकट में घिर गया.