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NDTV Profit Exclusive: डायरेक्ट टैक्स समीक्षा में पिछले निवेश, नोटिस, सर्च को शामिल नहीं किया जाएगा

एक अधिकारी ने NDTV प्रॉफिट को बताया कि अपनी समीक्षा रिपोर्ट में राजस्व विभाग द्वारा अनावश्यक धाराओं पर स्पष्टीकरण दिए जाने की उम्मीद है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी05:24 PM IST, 07 Nov 2024NDTV Profit हिंदी
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इस साल के बजट में वित्त मंत्री ने डायरेक्ट टैक्स की व्यापक समीक्षा का वादा किया था. डायरेक्ट टैक्स का पिछले निवेशों से कुल आय के टैक्स असेसमेंट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है. मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के मुताबिक, इसमें 2027-28 में मैच्योर होने वाले टैक्स फ्री बॉन्ड में निवेश शामिल है.

इस मामले से जुड़े अधिकारियों ने NDTV प्रॉफिट को बताया कि एक्सेम्पशन और डिडक्शन के क्षेत्रों में टैक्स प्रावधान, जिसमें विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ), बिजली और टेलीकॉम पर खर्च , कैपिटल गेन्स शामिल हैं, जिनकी समय सीमा समाप्त हो चुकी है, उन्हें 'अनावश्यक' घोषित किया जा सकता है.

इससे टैक्स प्रणाली को एक्सेम्पशन-फ्री रिजीम की ओर आगे बढ़ने में भी मदद मिलेगी.

अधिकारियों ने NDTV प्रॉफिट को बताया कि ये समीक्षा इस तरह से की जा रही है कि टैक्स असेसमेंट ईयर 2012-13 से पहले लागू सभी अनावश्यक धाराओं को समाप्त किया जा सके, लेकिन तीन व्यापक अपवादों के साथ, जिनमें से पहला पिछले निवेशों से वर्तमान या बाद के वर्षों में आय से संबंधित है, अन्य दो मुकदमेबाजी, नोटिस और सर्च से संबंधित हैं.

एक अधिकारी ने कहा कि लंबित टैक्स असेसमेंट कार्यवाही में कुल आय के असेसमेंट पर प्रभाव डालने वाले किसी भी प्रावधान को समाप्त नहीं किया जाएगा. ये माना जाएगा कि टैक्स असेसमेंट ईयर 2012-13 से संबंधित कार्यवाही अभी भी नियमित रूप से लंबित हो सकती है. समीक्षा से छूटे अन्य प्रावधान वे होंगे जो टैक्स असेसमेंट ईयर 2014-15 या उसके बाद के चालू वर्ष में कार्यवाही शुरू करने पर प्रभाव डालते हैं.

एक अधिकारी ने NDTV प्रॉफिट को बताया कि अपनी समीक्षा रिपोर्ट में राजस्व विभाग द्वारा अनावश्यक धाराओं पर स्पष्टीकरण दिए जाने की उम्मीद है.

पिछले महीने, वरिष्ठ टैक्स अधिकारी VK गुप्ता की अध्यक्षता वाली CBDT की आंतरिक समिति ने भाषा के सरलीकरण, मुकदमेबाजी में कमी, कंप्लायंस में कमी और अप्रचलित प्रावधानों के संबंध में छह दशक पुराने आयकर अधिनियम की समीक्षा के लिए जनता से सुझाव मांगे थे.
पिछले एक महीने में पैनल को शेयरहोल्डर्स से 6,500 प्रतिक्रियाएं मिलीं.

पैनल ने 22 उप-समितियां गठित की हैं, जिन्हें समीक्षा कार्य के तहत प्रत्येक अनुभाग की समीक्षा पर इस माह के अंत तक रिपोर्ट भेजने का काम सौंपा गया है.

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