डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) के रेसिप्रोकाल टैरिफ (Reciprocal Tariff) ने दुनियाभर में भय और रोष फैला दिया है. लेकिन एक प्रमुख अर्थव्यवस्था ऐसी भी है जो व्यवधानों में 'स्वर्णिम अवसर' देखती है.
भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि वैश्विक व्यापार में आने वाले बदलाव न केवल सप्लाई चेन में निष्पक्षता लाएंगे, बल्कि दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद होंगे.
मुंबई में इंडिया ग्लोबल फोरम में गोयल ने कहा, 'हम इतिहास के ऐसे दौर में खड़े हैं, जहां भारत मौजूदा स्थिति को अवसर में बदलने के लिए पूरी तरह तैयार है.'
उन्होंने कहा, 'हमारे पास स्वर्णिम अवसर है. मंत्री की ये टिप्पणी तब आई है, जब चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी से दुनियाभर के बाजारों में दबाव है. हालांकि मंगलवार को बाजारों में तेजी देखी गई, मगर बाजार अब भी अनिश्चितता के दौर में है. पिछले सप्ताह टैरिफ लागू किए जाने के बाद वैश्विक इक्विटी से $10 ट्रिलियन का नुकसान हुआ है.'
गोयल ने अपने वक्तव्य में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूदा उथल-पुथल का कारण चीन का लगभग 25 साल पहले विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शामिल होना है. गोयल ने कहा, 'अगर कोई मुझसे पूछे कि आज हम जिस स्थिति में हैं, उसका कारण क्या है और हम इस उथल-पुथल से क्यों गुजर रहे हैं, तो इसका मूल कारण वास्तव में 2000 की शुरुआत है. जब चीन को विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बनाया गया था.'
मंत्री की टिप्पणियों से ऐसा लगता है कि चीन की ट्रेड प्रैक्टिस की ट्रंप की आलोचना का समर्थन किया जा रहा है और संकेत मिलता है कि हाल ही में संबंधों में नरमी के संकेतों के बावजूद नई दिल्ली अपने पड़ोसी पर अपने निवेश और व्यापार प्रतिबंधों को कम करने की जल्दी में नहीं है. दोनों देशों ने हाल के महीनों में सीमा गतिरोध को कम करना शुरू किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है.
US ने पिछले सप्ताह दक्षिण एशियाई राष्ट्र से अमेरिकी आयात पर 26% टैरिफ की घोषणा की, जो चीन और वियतनाम जैसे क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों पर लगाए गए टैरिफ से कम है. भारत की प्रतिक्रिया चीन के विपरीत है, जिसने अमेरिकी आयात पर 34% शुल्क लगाकर जवाबी कार्रवाई की है और यूरोपीय संघ अमेरिकी वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है. अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के विपरीत भारत ने संकेत दिया है कि वो अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा, बल्कि ट्रंप प्रशासन के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत करने पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा.
अधिकारियों ने कहा कि दक्षिण एशियाई राष्ट्र को अपने प्रतिद्वंद्वियों पर पहले कदम उठाने का लाभ है क्योंकि सरकार ने पहले ही एक व्यापार सौदे पर बातचीत शुरू कर दी है, जिसे वे इस साल के अंत तक पूरा करने की योजना बना रहे हैं.
अमेरिका से प्राप्त एक रीडआउट के मुताबिक, इस दिशा में एक और कदम उठाते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने सोमवार को टैरिफ और 'निष्पक्ष और संतुलित व्यापार संबंधों की दिशा में प्रगति कैसे करें' पर चर्चा की.
गोयल ने अर्थव्यवस्था पर किसी भी तरह के तत्काल प्रभाव को कमतर आंका. उन्होंने फोरम में फायरसाइड चैट के दौरान ब्लूमबर्ग की हसलिंडा अमीन से कहा, 'भारत निर्यात पर निर्भर अर्थव्यवस्था नहीं है. बड़ी घरेलू डिमांड ने भारत को मजबूत बनाए रखा है और किसी भी व्यापार व्यवधान का भारत पर वास्तव में उतना बड़ा प्रभाव नहीं पड़ सकता है.'
कुछ शुरुआती संकेत हैं कि टैरिफ लागू होने के बाद सप्लाई चेन को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए प्रमुख कंपनियां भारत की ओर देख रही हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, एप्पल भारत में बने अधिक डिवाइस को अमेरिकी बाजार में ला रही है. अमेरिका के अलावा, भारत यूरोपीय यूनियन और UK सहित अन्य व्यापारिक साझेदारों के साथ भी समझौते पर बातचीत कर रहा है.
उन्होंने कहा, 'भारत को अपने रणनीतिक हितों के बारे में सतर्क रहना होगा कि हम किसे निवेश करने की अनुमति देते हैं.'