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Vivo-इंडिया के खिलाफ ED ने फाइल की चार्जशीट, लगाया मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप

PTI से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, ये कंप्लेंट नई दिल्ली के स्पेशल कोर्ट में बुधवार को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत दाखिल की गई है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी08:53 PM IST, 07 Dec 2023NDTV Profit हिंदी
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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चीनी स्मार्टफोन कंपनी वीवो-इंडिया (Vivo-India) और अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. इन कंपनियों पर मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जांच करने के बाद ये चार्जशीट दाखिल की गई है.

PTI से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, ये कंप्लेंट नई दिल्ली के स्पेशल कोर्ट में बुधवार को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के अंतर्गत दाखिल की गई है, जिसमें वीवो-इंडिया एवं अन्य को नामजद किया गया है.

जांच एजेंसी ने इस मामले में 4 लोग को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें लावा इंटरनेशनल मोबाइल कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर हरि ओम राय (Hari Om Rai) शामिल हैं. जो अन्य लोग, जिनकी गिरफ्तारी हुई है, उनमें चीनी नागरिक गुआंगवेन उर्फ एंड्र्यू कुआंग, चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग और राजन मलिक शामिल हैं.

ED ने स्थानीय कोर्ट में रिमांड पेपर्स दाखिल किए थे, जिसमें चारों को वीवो इंडिया को कथित रूप से गलत तरीके से फायदा पहुंचाया, जो भारत की आर्थिक संप्रभुता के लिए हानिकारक है.

जुलाई 2022 में की थी छापेमारी

बीते साल जुलाई महीने में वीवो इंडिया पर छापेमारी की गई, जिसमें कई भारतीय कंपनियों और चीनी नागरिकों को बड़े मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त पाया गया.

ED ने वीवो इंडिया पर टैक्स से बचने के लिए चीन में 62,476 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने का आरोप लगाया. इसके जवाब में कंपनी ने कहा है कि वो पूरी जिम्मेदारी के साथ अपने नैतिक कर्तव्यों का पालन करती है और कानूनों का अनुपालन करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.

लावा इंटरनेशनल मोबाइल के MD हरि ओम राय ने कोर्ट में स्वीकारा कि उनकी कंपनी और वीवो-इंडिया करीब एक दशक पहले साथ में ज्वाइंट वेंचर (JV) लॉन्च करने पर बातचीत कर रहे थे, लेकिन उनका 2014 के बाद से किसी चीनी फर्म या उसके प्रतिनिधियों के साथ कोई संबंध नहीं है.

राय के वकील ने कोर्ट में कहा, 'कथित रूप से किसी भी फायदा उठाने की बात तो छोड़ दीजिए, न ही वीवो-इंडिया या वीवो से जुड़े अन्य किसी इकाई के साथ कोई ट्रांजैक्शन किया है और न ही किसी भी तरह का आर्थिक फायदा बनाया है.'

दिल्ली पुलिस की ओर से दिसंबर में दाखिल की गई FIR को स्टडी करने के बाद, एजेंसी ने 3 फरवरी को इस मामले में वीवो-इंडिया की एसोसिएटेड कंपनी ग्रैंड प्रॉस्पेक्ट इंटरनेशनल कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ इंफोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट दाखिल की. ये इंफोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट पुलिस की ओर से दाखिल की गई FIR जितनी ही मान्य है.

ये पुलिस कंप्लेंट कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की ओर से फाइल की गई है, जिसमें GPICPL और उसके शेयरधारकों की ओर से दिसंबर 2014 में कंपनी के निर्माण के वक्त कथित रूप से फर्जी पहचान पत्र और गलत पते का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.

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