भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम (Startup Ecosystem) तेजी से आगे बढ़ रहा है. इसकी वजह है कि स्टार्टअप्स की संख्या में लगातार वृद्धि देखी गई है. पेटीएम (Paytm ), ओला (Ola) से लेकर जोमैटो (Zomato) और बायजू (BYJU'S) तक कई ऐसी कंपनियां हैं, जो स्थापित होने के तुरंत बाद तेजी से आगे बढ़ी है. वहीं, कई कंपनियां यूनिकॉर्न क्लब में शामिल होने में कामयाब रही हैं. एक तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में स्टार्टअप्स महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ कुछ स्टार्टअप एंटरप्रेन्योर द्वारा हासिल की गई सफलता ने देश के युवाओं को आत्मनिर्भर बनने और एंटरप्रेन्योरशिप को चुनने के लिए प्रेरित करने का काम किया है.
अगर सिर्फ पिछले एक साल की बात करें तो इस दौरान 44 भारतीय कंपनियां 93 बिलियन डॉलर के कुल वैल्यूएशन के साथ यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हुईं हैं. जबकि इस वर्ष 21 कंपनियां यूनिकॉर्न बन पाई हैं, जिनका कुल वैल्यूएशन 26.99 बिलियन डॉलर रहा है.
ब्रोकरेज फर्म जेरोधा (Zerodha) के सीईओ नितिन कामथ (Nithin Kamath) ने स्टार्टअप की दुनिया का जिक्र अपने हालिया लिंक्डइन पोस्ट में किया है. नितिन कामथ ने अपने पोस्ट में लिखा, भारत में पहली बार एंटरप्रेन्योर बनने की इच्छा रखने वाले लोगों की संख्या इतनी अधिक है. एंटरप्रेन्योरशिप के प्रति बढ़ता झुकाव भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) या सिविल सेवाओं जैसे कुछ प्रतिष्ठित भारतीय संस्थानों में जाने के लिए प्रयासरत युवाओं के समान है. उन्होंने आगे लिखा, भारत के निर्माण के लिए अधिक से अधिक लोग आगे आ रहे हैं. यही एक तरीका है जिससे कि हम 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकते हैं.
इन्वेस्ट इंडिया के अनुसार, 7 सितंबर 2022 तक भारतीय स्टार्टअप्स ( Indian startups) की कुल फंडिंग 2015 से 15 गुना बढ़कर 222 हो गई है, जबकि निवेशकों की संख्या में नौ फीसदी की वृद्धि हुई है. भारत में वर्तमान में 340.79 बिलियन के कुल वैल्यूएशन के साथ 105 से अधिक यूनिकॉर्न हैं.
वित्त वर्ष 2016-2017 तक हर साल मोटे तौर पर एक यूनिकॉर्न ने भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में प्रवेश किया है. जबकि पिछले चार वर्षों में सालाना आधार पर स्टार्टअप्स की संख्या में 66% की वृद्धि हुई है, जो सालाना यूनिकॉर्न में बदल रहे हैं.