मीडिया में यह खबर आयी थी कि इपीएफओ अपने अंशधारकों के लिए अगले दो सालों में 10 लाख मकान बनाएगा और इसके लिए वह शहरी विकास मंत्रालय के साथ हाथ मिलाएगा. इस खबर के बाबत श्रममंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने साफ किया है कि सेवानिवृति कोष निकाय ईपीएफओ मकान नहीं बनाएगा बल्कि वह चार करोड़ से अधिक सदस्यों की सहायता करेगा ताकि वे मकान खरीद सकें.
श्रम मंत्रालय की मंशा अगले दो सालों में कम से कम 10 लाख अंशधारकों को मकान खरीदने में सहायता पहुंचाना है. वह इसके लिए उन्हें अपने भविष्य निधि के 90 फीसदी हिस्से से शुरुआती राशि और बाद में होमलोन की ईएमआई का भुगतान करने की इजाजत देगा.
दत्तात्रेय से जब पूछा गया कि क्या कर्मचारी भवष्यि निधि संगठन अपने अंशधारकों के लिए मकान बनाएगा तब उन्होंने कहा, ‘‘आवास के सिलसिले में ईपीएफओ का मकानों के निर्माण से कोई लेना-देना नहीं है. यह अंशधारकों की जिम्मेदारी है. ’’
सदस्यों को मकान खरीदने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि योजना, 1952 में हाल ही में किये गये संशोधन को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘योजना का लक्ष्य 2022 तक सभी के लिए मकान के प्रधानमंत्री के विजन को पूरा करना है. हमारे ईपीएफओ सदस्य इस योजना के लाभार्थी होंगे. हमारे 4.31 करोड़ ईपीएफओ अंशधारक हैं।. हमने ग्रूप हाउसिंग सोसायटी बनाने के नियम बनाए हैं.’’