फिनो पेमेंट्स बैंक लिमिटेड ने कहा है कि उसके बोर्ड ने स्मॉल फाइनेंस बैंक में बदलाव के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. शुक्रवार को एक एक्सचेंज नोटिस में कहा गया कि इस मामले में बोर्ड की मंजूरी सभी रेगुटेलरी जरूरतों को पूरा करने पर मिलेगी. इसी के साथ फिनो पेमेंट्स बैंक ऐसी पहली संस्था बन गई है, जो भारतीय रिजर्व बैंक के नीतिगत बदलाव के बाद स्मॉल फाइनेंस बैंक बनने की ओर बढ़ रही है.
रेगुलेटर की ऐसे बदलावों की जरूरत के मुताबिक, एक पेमेंट्स बैंक के संचालन के पांच साल पूरे हो जाने चाहिए और उसकी नेटवर्थ 200 करोड़ रुपये होनी जरूरी है. अगर पेमेंट्स बैंक के पास जरूरी नेटवर्थ नहीं है, तो गाइडलाइंस के तहत कैपिटल इंतजाम करने की इजाजत दी गई है, जिससे नेटवर्थ को बढ़ाकर RBI से बदलाव के लिए सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के 18 महीनों के अंदर सीमा तक लाया जा सकता है.
फिनो पेमेंट्स बैंक ने RBI से मंजूरी मिलने के बाद साल 2017 में संचालन शुरू किया था. इसके बाद 2020 में, वो मुनाफा कमाने वाला पहला पेमेंट बैंक बन गया था. 30 जून को खत्म हुई तिमाही में, पेमेंट्स बैंक को 18.7 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट हुआ था. इसमें सालाना आधार पर 85% की बढ़ोतरी देखने को मिली थी.
30 जून को, बैंक के पास 1,221 करोड़ रुपये का डिपॉजिट मौजूद था. फिनो पेमेंट्स बैंक का कैपिटल एडिक्वेसी रेश्यो 78.09% पर पहुंच गया है, जिसमें पिछले साल के 106.02% से गिरावट देखने को मिली है. पेमेंट्स बैंक, RBI द्वारा लाइसेंस प्राप्त खास इकाई होती हैं और उन्हें किसी ग्राहक को पैसा उधार देने की इजाजत नहीं होती है. वो अपने ग्राहकों को सेविंग्स और करंट अकाउंट डिपॉजिट की सर्विस पेश कर सकते हैं.
जहां शुरुआती तौर पर पेमेंट बैंक को हर ग्राहक से 1 लाख रुपये तक के डिपॉजिट मंजूर करने की इजाजत थी, वहीं, बाद में लिमिट को बढ़ाकर 2 लाख रुपये प्रति ग्राहक कर दिया गया था. उनके लिए अपने डिपॉजिट में से 75% तक की राशि को सरकारी सिक्योरिटीज में रखना अनिवार्य होता है.
स्मॉल फाइनेंस बैंक बनने के बाद फिनो पेमेंट्स बैंक के लिए उसकी बैलेंस शीट से कस्टमर बेस को कर्ज देने का दरवाजा खुलेगा. इससे उसे ज्यादा कस्टमर डिपॉजिट हासिल करने और दूसरी सिक्योरिटीज में निवेश करने की भी इजाजत मिलेगी. इसे साल 2006 में टेक्नोलॉजी कंपनी के तौर पर शुरू किया गया था.