वारी एनर्जीज ( Waaree Energies) और प्रीमियर एनर्जीज (Premier Energies) पहली बार जब भारतीय एक्सचेंजों पर लिस्ट हुए थे तो दोनों कंपनियों को निवेशकों से पॉजिटिव प्रतिक्रिया मिली और उनके शेयरों ने 50% से अधिक प्रीमियम के साथ शुरुआत की थी. लेकिन बाजार में मजबूत शुरुआत के बाद उनके पब्लिक होने के कुछ महीनों में ही स्थिति बदलने लगी.
वारी एनर्जीज को पिछले साल अक्टूबर में लिस्ट किया गया था, जबकि प्रीमियर एनर्जीज के शेयरों का कारोबार सितंबर में शुरू हुआ था. 2025 में अब तक वारी एनर्जीज में लगभग 22% की गिरावट आई है, जबकि प्रीमियर एनर्जीज में लगभग 32% की गिरावट आई है.
दोनों स्टॉक अब अपनी शुरुआती लिस्टिंग कीमतों से काफी नीचे कारोबार कर रहे हैं और एनालिस्ट्स ने कई कारकों की पहचान की है जो भविष्य में इन कंपनियों पर निगेटिव प्रभाव डाल सकते हैं.
सोलर मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में एंट्री की बाधाएं कम हैं और प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए एक से दो साल की कमीशनिंग समयसीमा है. नुवामा रिसर्च ने संकेत दिया है कि भारत का सौर मॉड्यूल और सेल क्षेत्र अभी भी डेवलपमेंट के शुरुआती दौर में है, जिससे बड़ी क्षमता विस्तार को बढ़ावा मिल रहा है.
भारत में, वित्त वर्ष 2027 तक मॉड्यूल के लिए 60 GW और सेल के लिए 47 GW कैपिसिटी बढ़ने की उम्मीद है. विश्लेषकों का कहना है कि वारी एनर्जीज और प्रीमियर एनर्जीज वर्तमान में अग्रणी कंपनी हैं. लेकिन अदाणी एंटरप्राइजेज और रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा महत्वपूर्ण बाजार हिस्सेदारी हासिल करने की उम्मीद है. जो संभावित रूप से वित्त वर्ष 2028 से पूर्व के मार्जिन को प्रभावित कर सकती है.
बर्नस्टीन रिसर्च के निखिल नागानिया ने कहा कि हाई कॉम्पिटेटिव आउटलुक और कैपिसिटी ने ने पहले ही वैश्विक आपूर्ति की अधिकता पैदा कर दी है और भारत में भी इसी तरह की प्रवृत्ति इनएविटेबल है. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत की वित्तीय वर्ष 2026 में सौर मॉड्यूल की मांग 40 GW रहने की उम्मीद है, जबकि सप्लाई पाइपलाइन 70 गीगावाट से अधिक है.
इस बीच, नुवामा के डेटा से पता चलता है कि अगर सभी कार्य समय पर पूरे हो जाते हैं तो क्षमता 105.8 GW तक पहुंच सकती है. ब्रोकरेज ने ये भी कहा कि भारत में वित्तीय वर्ष 2027 तक सौर मॉड्यूल क्षेत्र में अधिक क्षमता देखने की उम्मीद है. जबकि वित्तीय वर्ष 2029 तक सेल सप्लाई में कमी हो सकती है. इससे वारी एनर्जीज और प्रीमियर एनर्जीज की आय में कमी आने की उम्मीद है.
वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2024 के बीच, भारत ने चीन पर प्रतिबंध लगाने के कारण अमेरिका को सौर सोलर एक्सपोर्ट में बड़ी उछाल देखी. इससे दोनों लिस्टेड सौर मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को मदद मिली. वारी एनर्जीज ने वास्तव में वित्त वर्ष 2024 के कुल रेवेन्यू का 57% अमेरिका से प्राप्त किया, जबकि प्रीमियर एनर्जीज ने अमेरिका को सौर सेल निर्यात के मामले में मार्केट लीडर रही है. हालांकि, अब अमेरिका में हालात तेजी से बदल रहे हैं.
भारतीय आयात पर उच्च अमेरिकी टैरिफ लागत लाभ को नुकसान पहुंचाएगा. अमेरिका में घरेलू सौर मैन्युफैक्चरिंग कैपिसिटी में तेजी आई है. 54 GW की वर्तमान ऑपरेशनल कैपिसिटी क्षमता 2025 में सौर मॉड्यूल की अपेक्षित मांग का 94% है.
सौर और मॉड्यूल स्पेस भी ऐसा क्षेत्र है, जहां निर्माताओं को ज्यादा प्रतिस्पर्धा होने पर सीमित मूल्य निर्धारण शक्ति दिखाई देती है. इससे उत्पादकों के लिए बढ़ी हुई लागत को आगे बढ़ाना मुश्किल हो जाता है. उदाहरण के लिए नवंबर 2022 में पॉलीसिलिकॉन और वेफर की कीमतें (सौर मॉड्यूल और सेल बनाने के लिए प्रमुख इनपुट) दिसंबर 2020 के लेवल से 238% और 115% बढ़ गईं हैं. हालांकि, मॉड्यूल की कीमतों में केवल 9% की ग्रोथ हुई है.
वारी एनर्जीज और प्रीमियर एनर्जीज ने वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2024 तक अपने वित्तीय प्रदर्शन को काफी हद तक बढ़ाया है, जिसमें एबिटा मार्जिन में स्पष्ट सुधार हुआ है.
हालांकि, बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण मार्जिन में गिरावट का अनुमान है, बर्नस्टीन ने सोलर मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री के लिए लगातार रिटर्न बनाए रखने की चुनौती पर प्रकाश डाला है. यहां तक कि चीन के टॉप 10 मॉड्यूल मनुफक्चरर्स को भी हाल के वर्षों में वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा है, जबकि इंटीग्रेटेड प्लेयर्स बेहतर स्थिति में हैं.
चार-चार एनालिस्ट्स वारी एनर्जीज और प्रीमियर एनर्जीज पर नजर रख रहे हैं. जिनमें से दो-दो ने उनके शेयरों पर 'Sell' रेटिंग दी है. एक-एक एनालिस्ट्स ने 'Hold' की सलाह दी है. नुवामा रिसर्च एकमात्र ऐसा काउंटर है जिसने दोनों शेयरों पर तेजी की सलाह दी है.