India's FMCG Growth Slows: जनवरी से मार्च 2025 के बीच रोजमर्रा की जरूरतों जैसे किराना और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स की खपत सिर्फ 3.5% बढ़ी है. FMCG ग्रोथ की ये रफ्तार पिछली 9 तिमाही में सबसे धीमी रही है.
मार्केट रिसर्च कंपनी Kantar की रिपोर्ट के मुताबिक, ये गिरावट ऐसे समय आई है, जब महंगाई अक्टूबर 2024 में अपने शिखर पर पहुंचने के बाद धीरे-धीरे कम हो रही है. यानी अब सिर्फ महंगाई नहीं, बल्कि बदलते कंज्यूमर बिहेवियर भी FMCG बाजार को प्रभावित कर रहे हैं.
बदलते व्यहारों की बात करें इसमें ब्रैंड्स को लेकर बदलती धारणाएं, क्वालिटी, लुक, प्रॉडक्ट्स स्टोरी वगैरह महत्वपूर्ण तथ्य हैं. इसकी चर्चा हम इसी खबर में आगे करेंगे. पहले रिपोर्ट केआंकड़ों पर बात कर लेते हैं.
कांतार की रिपोर्ट में तिमाही आधार पर देखें तो शहरी क्षेत्रों में खपत 4.4% बढ़ी है, जबकि ग्रामीण इलाकों में सिर्फ 2.7% की बढ़ोतरी दर्ज हुई. पूरे वित्त वर्ष 2024-25 में भी शहरी खपत ने ग्रामीण खपत को पीछे ही छोड़ा है. हालांकि, शहरी बाजारों में भी सभी हिस्से समान रूप से बेहतर नहीं कर रहे. कुछ जगहों पर मांग में सुस्ती है.
अब बात करते हैं बदलते कंज्यूमर बिहेवियर पर.
रिपोर्ट बताती है कि 22 लिस्टेड FMCG कंपनियों की वॉल्यूम ग्रोथ सिर्फ 2.1% रही है, जबकि पूरे ब्रैंडेड बाजार की ग्रोथ 3.8% रही. इसके उलट, अनब्रैंडेड प्रोडक्ट्स की ग्रोथ 8.4% रही है, जो एक बड़ा अंतर है.
हालांकि गांवों में ये ट्रेंड उल्टा है- वहां ब्रैंडेड प्रोडक्ट्स (5.1%) ज्यादा तेजी से बढ़े हैं, और अनब्रैंडेड सिर्फ 2.3% की दर से.
ग्रामीण इलाकों में कंपनियों की गहरी पकड़, ब्रैंड लॉयल्टी और बेहतर डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के चलते उपभोक्ता इन ब्रैंड्स की तरफ झुक रहे हैं. खासकर तब, जब आर्थिक हालात चुनौतीपूर्ण हों.के रामकृष्णन, मैनेजिंग डायरेक्टर (MD), कांतार वर्ल्डपैनल
वहीं शहरी उपभोक्ता अब ब्रैंड्स को लेकर उतने लॉयल नहीं रहे. डिजिटल शॉपिंग अभी भले ज्यादा असर न डाल रही हो, लेकिन मोबाइल पर बढ़ते विज्ञापन, पैकेजिंग और प्राइसिंग को लेकर धारणाएं बदल रही हैं.
अब ग्राहक सिर्फ दाम नहीं, बल्कि क्वालिटी, लुक और प्रोडक्ट की स्टोरी को भी महत्व देने लगे हैं. यही वजह है कि बीते एक साल में FMCG प्रोडक्ट्स की औसत कीमत ₹8 प्रति किलो बढ़ गई है, भले ही ग्राहक छोटी या अनब्रैंडेड चीजें ज्यादा खरीद रहे हों.
रिपोर्ट के मुताबिक, बीते साल लोगों ने औसतन 156 बार ग्रॉसरी शॉपिंग की यानी हर 56 घंटे में एक बार. शॉपिंग ट्रिप की संख्या भले स्थिर रही, लेकिन बास्केट का साइज यानी खरीदे गए पैक्स और उनकी वैल्यू दोनों में बढ़ोतरी हुई. इस साल औसतन 26 पैक्स ज्यादा खरीदे गए और पैक साइज भी 15 ग्राम बड़ा हुआ.
रिपोर्ट कहती है, 'ये ग्राहकों के भरोसे की वापसी का संकेत है. आने वाले महीनों में अगर आर्थिक हालात बेहतर रहे, तो शहरी इलाकों में ग्रोथ और तेज होगी और साल की दूसरी छमाही में ग्रामीण बाजार भी वापसी कर सकता है.'