प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जेनसोल इंजीनियरिंग पर शिकंजा कस दिया है. दिल्ली, गुरुग्राम और अहमदाबाद में गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने जेनसोल कंपनी से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की थी. ये कार्रवाई फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट यानी FEMA से जुड़े एक मामले में की गई हैं.
सूत्रों के मुताबिक, जेनसोल के प्रोमोटर पुनीत जग्गी को दिल्ली के एक होटल से हिरासत में लिया गया है. जहां वे पिछले एक हफ्ते से ठहरे हुए थे. सूत्रों ने ये भी जानकारी दी है कि कुछ दिन पहले पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन ने दिल्ली पुलिस EOW में शिकायत दर्ज करवाई थी. पुनीत जग्गी के भाई अनमोल जग्गी इस वक्त दुबई में हैं और अभी भारत नहीं लौटे हैं.
बता दें, ED की ये जांच उस SEBI रिपोर्ट के आधार पर शुरू की गई है, जिसमें जग्गी ब्रदर्स पर फंड डायवर्जन, शेल कंपनियों को पैसे ट्रांसफर करने, शेयर प्राइस में हेरफेर और लोन के पैसे से निजी खर्च चलाने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं. सूत्रों का ये भी कहना है कि भविष्य में ED मनी लॉन्ड्रिंग के तहत भी जांच शुरू कर सकती है. इसके अलावा ED ने जग्गी ब्रदर्स की पत्नियों को पुणे में ट्रेस किया है और उनसे भी पूछताछ की संभावना है.
SEBI की जांच मुख्य रूप से 6,400 इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए जेनसोल द्वारा उठाए गए 663.89 करोड़ रुपये के लोन के इर्द-गिर्द रही है. हालांकि इसमें से केवल 4,704 EV वास्तव में 567.73 करोड़ रुपये में खरीदे गए थे. इसमें 200 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का हिसाब नहीं मिल पाया. सैंक्शन लोन कथित तौर पर एक डीलर, गो-ऑटो प्राइवेट लिमिटेड को दिए गए, जिसने बदले में जग्गी भाइयों से जुड़ी विभिन्न कंपनियों को पैसे ट्रांसफर किए, जिनमें कैपब्रिज वेंचर्स LLP, मैट्रिक्स गैस एंड रिन्यूएबल्स और वेलरे सोलर इंडस्ट्रीज शामिल हैं.
जेनसोल में प्रमोटर की हिस्सेदारी, जो कभी 70% से अधिक थी, मार्च 2025 तक घटकर 35% रह गई. इसमें से 75.74 लाख शेयर IREDA के पास गिरवी रखे गए थे, जिनमें से कई कथित तौर पर जब्त कर लिए गए हैं. इस बीच, खुदरा निवेशकों के पास कंपनी के लगभग 65% शेयर बने हुए हैं.