ADVERTISEMENT

Gensol Modus Operandi Explained: लग्जरी फ्लैट, महंगे गिफ्ट और फर्जीवाड़ा, ऐसे हुआ करोड़ों का खेल, निवेशकों को लगा झटका!

SEBI ने एक फॉरेंसिक ऑडिटर नियुक्त करने का आदेश भी दिया है, जो कंपनी की पूरी अकाउंटिंग की जांच करेगा.
NDTV Profit हिंदीचारू सिंह
NDTV Profit हिंदी04:45 PM IST, 16 Apr 2025NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

गुरुग्राम में एक लग्जरी फ्लैट, फिजूलखर्ची, परिवार को भेजी गई मोटी रकम और कंपनियों के नाम पर की गई खरीदारी- जेनसोल इंजीनियरिंग (Gensol Engineering) में हुए गड़बड़झाले की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट जैसी लगती है, जैसा कि जांच में सामने आया है.

मार्केट रेगुलेटर SEBI ने कंपनी और इसके प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी पर बड़ी कार्रवाई की है. जग्‍गी ब्रदर्स को शेयर बाजार से बैन कर दिया गया है और कंपनी की प्रस्तावित स्टॉक स्प्लिट रोक दी गई है.

SEBI ने साथ ही एक फॉरेंसिक ऑडिटर नियुक्त करने का आदेश भी दिया है, जो कंपनी की पूरी अकाउंटिंग की जांच करेगा.

किस तरह, कहां गया पैसा?

SEBI के अनुसार, जेनसोल ने इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने के नाम पर 977 करोड़ रुपये का लोन लिया. इस लोन का कुछ हिस्सा सही जगह खर्च हुआ, लेकिन बड़ी रकम फिजूलखर्ची और निजी इस्तेमाल में लगाई गई. कुछ चौंकाने वाले खर्चों पर नजर डालें-

  • गुरुग्राम के DLF Camellias में एक फ्लैट: कीमत 42 करोड़ रुपये से ज्यादा

  • Titan से खरीदे गए लग्जरी सामान: करीब 17 लाख रुपये

  • गोल्फ सेट और गोल्ड ज्‍वैलरीज: करीब 26 लाख रुपये

  • ICICI के जरिए क्रेडिट कार्ड बिल चुकाने में खर्च: करीब 10 लाख रुपये

  • विदेशी मुद्रा की खरीद: 1.86 करोड़ रुपये

  • परिवार के खातों में ट्रांसफर की गई रकम: करीब 8 करोड़ रुपये

कंपनी की हालत पर एक नजर 

जेनसोल के बैलेंस शीट पर नजर डालें तो इसकी कमाई तो तेजी से बढ़ी. 2017 में 61 करोड़ से 2024 में 1,152 करोड़ रुपये हो गई. हालांकि शेयर की वैल्‍यू 1,126 रुपये से गिरकर 133 रुपये तक आ गई और कंपनी का मार्केट कैप घटकर 4,300 करोड़ से सिर्फ 506 करोड़ रह गया. प्रमोटरों की हिस्सेदारी भी 70% से घटकर 30% पर आ गई है.

इलेक्ट्रिक व्हीकल के नाम पर हुआ खेल!

जेनसोल ने IREDA और PFC से 663.89 करोड़ रुपये का लोन लेकर कहा कि 6,400 EV खरीदे जाएंगे, लेकिन सिर्फ 4,707 गाड़ियां ही खरीदी गईं, वो भी BluSmart नाम की एक कंपनी को लीज पर दे दी गई, जो प्रमोटर्स से जुड़ी है.

बचे हुए 262 करोड़ रुपये का कोई हिसाब नहीं. ये पैसा Gensol से Go Auto Pvt Ltd को भेजा गया, जहां से ये फिर दूसरी कंपनियों में रूट होकर पर्सनल खर्च में इस्तेमाल हुआ. जरा पैसों का रोटेशन देखिए...

  • IREDA के लोन से 93.88 करोड़ रुपये Go Auto को मिले

  • इसमें से 50 करोड़ Capbridge Ventures को दिए, जिन्होंने 42 करोड़ में फ्लैट खरीदा

  • Go Auto ने Wellray Solar को 40 करोड़ भेजे, जिन्होंने फिर आगे चार और कंपनियों को पैसा भेजा

इनसाइडर ट्रेडिंग का भी शक

SEBI की रिपोर्ट में ये भी सामने आया कि Wellray के जरिए Gensol के शेयरों की खरीद-बिक्री की गई, जो कंपनी एक्ट की धारा 67 का उल्लंघन है. इसमें कंपनियों को अपने ही शेयरों की खरीद के लिए फंड देने की मनाही है.

क्या सच में EV बिजनेस हो रहा था?

Gensol ने जनवरी 2025 में दावा किया था कि उन्हें 30,000 इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के प्री-ऑर्डर मिले हैं, लेकिन SEBI ने पाया कि इनमें से 29,000 सिर्फ कागजी MoU थे, जिनमें डिलीवरी की तारीख या कीमत का कोई जिक्र नहीं था.

जब NSE टीम ने Gensol की चाकन यूनिट का निरीक्षण किया तो देखा कि वहां कोई EV मैन्युफैक्चरिंग हो ही नहीं रही थी.

जेनसोल में हुआ गड़बड़झाला शायद यहीं तक सीमित न हो! बहरहाल मार्केट रेगुलेटर ने कंपनी की ऑडिटिंग की जांच का निर्देश दिया है.

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT