संकट में फंसी गो एयरलाइंस (इंडिया) लिमिटेड के फाइनेंशियल क्रेडिटर्स 450 करोड़ रुपये की अंतरिम फाइनेंसिंग देने पर राजी हो गए हैं. मामले की सीधे तौर पर जानकारी रखने वाले लोगों ने ये बताया है.
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की अगुवाई में क्रेडिटर्स ने इंसोल्वेंसी की कार्रवाई के तहत अतिरिक्त फाइनेंसिंग की सैद्धांतिक इजाजत दे दी है.
व्यक्ति ने बताया कि अंतरिम फाइनेंसिंग के साथ, एयरलाइन अगले महीने उड़ान सेवाओं के दोबारा शुरू होने की उम्मीद कर रही है. कमर्शियल उड़ानों को शुरू करने से पहले उसे डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) से आगे मंजूरी लेनी होंगी.
गो एयर जिसका नाम बदलकर गो फर्स्ट किया गया था, 23 अप्रैल तक, इस एयरलाइन को अपने फाइनेंशियल क्रेडिटर्स के 6,521 करोड़ रुपये देने हैं. ये नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की मुंबई बेंच के 10 मई को जारी ऑर्डर के मुताबिक है. ट्रिब्यूनल ने इंसोल्वेंसी की प्रक्रियाओं की शुरुआत की है. उसने इस महीने की शुरुआत में शैलेन्द्र अजमेरा को रेजोल्यूशन प्रोफेशनल के तौर पर नियुक्त किया है.
एयरलाइन ने दावा किया था कि Pratt & Whitney की ओर से दिए गए खराब इंजनों की वजह से उसे 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ. इसके बाद एयरलाइन वित्तीय संकट में फंस गई थी. उसने सिंगापुर में आर्टिब्रेशन ट्रिब्यूनल से इसके लिए कंपनसेशन मांगा था.
कंपनी के दूसरे घरेलू कर्जदाताओं में बैंक ऑफ बड़ौदा, IDBI बैंक और एक्सिस बैंक शामिल हैं. वहीं, विदेशी कर्जदाताओं में डोएशे बैंक भी शामिल है.