'दिवालिया' संकट में फंसी एयरलाइन गो फर्स्ट (Go First) एक बार फिर से उड़ान भर सकती है. एविएशन रेगुलेटर DGCA ने उड़ान के लिए मंजूरी देने से पहले उसकी तैयारियों का ऑडिट करेगी. वित्तीय संकट से जूझ रही Go First ने अपने कर्मियों को इस बारे में जानकारी दी है.
DGCA ने रेगुलर और सुरक्षित सेवाएं संचालित न कर पाने को लेकर गो फर्स्ट को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसका एयरलाइन ने जवाब दे दिया है.
DGCA के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि एयरलाइन ने 'कारण बताओ नोटिस' का जवाब दे दिया है और इससे संकेत मिलता है कि वो जल्द से जल्द उड़ानों को फिर से शुरू करने पर काम कर रही है.
गो फर्स्ट एयरलाइन ने मंगलवार को अपने कर्मचारियों को भेजे पत्र में कहा है, 'DGCA आने वाले दिनों में हमारी तैयारियों की जांच करने के लिए एक ऑडिट करेगा. एक बार नियामक द्वारा मंजूरी मिलने के बाद हम जल्द दोबारा उड़ानें शुरू कर देंगे.' गो फर्स्ट ने कहा, 'सरकार ने हमें बहुत सहयोग किया है और एयरलाइन को जल्द से जल्द ऑपरेशन शुरू करने के लिए कहा है.'
कर्मचारियों को मंगलवार रात भेजी गई सूचना के अनुसार, गो फर्स्ट के CEO ने कर्मियों को सैलरी के प्रति आश्वस्त रहने को कहा है. CEO ने आश्वस्त किया है कि उड़ानें शुरू होने से पहले अप्रैल महीने की सैलरी कर्मियों के खाते में डाल दी जाएगी, जबकि अगले महीने से सैलरी का भुगतान हर महीने के पहले सप्ताह में किया जाएगा. गो फर्स्ट के परिचालन प्रमुख रजित रंजन ने कर्मचारियों को ये सूचना दी है.
गो फर्स्ट द्वारा उड़ानें फिर से शुरू करने के सवाल पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने बुधवार को कहा, 'हमें उनकी ओर से अब तक कुछ भी नहीं मिला है, एयरलाइन अपना दिमाग लगाए, सुरक्षा प्रोटोकॉल देखें और उसके आधार पर निर्णय लें.' वो दिल्ली में उद्योग निकाय CII के वार्षिक सत्र से इतर मीडिया से बात कर रहे थे.
फिलहाल 26 मई तक गो फर्स्ट की उड़ानें कैंसिल है. अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से एयरलाइन ने बताया है कि ऑपरेशनल कारणों से गो फर्स्ट की फ्लाइट्स 26 मई, 2023 तक कैंसिल हैं.
इसके आगे यानी 27 मई से फ्लाइट्स चलेंगी या नहीं, इसको लेकर ऑफिशियली कोई अपडेट नहीं है. एयरलाइन ने शुरू में दो दिनों (3 मई और 4 मई) के लिए उड़ानें रद्द की थी और इसके बाद से लगातार उड़ानें कैंसिल करती गई. इसके चलते हजारों एयर पैसेंजर्स को दिक्कतों का सामना करना पड़ा है.