नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने गो फर्स्ट के लेसर्स (वो कंपनियां जो लीज पर विमान देती हैं) की उस अपील को खारिज कर दिया है, जो उन्होंने एयरलाइन के इंसॉल्वेंसी में जाने के खिलाफ डाली थी. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल द्वारा घोषित मोरेटोरियम, इंसॉल्वेंसी की प्रक्रिया में जारी रहेगा. हालांकि, अपीलेट ट्रिब्यूनल ने लेसर्स को इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्टसी कोड के सेक्शन 65 के तहत NCLT को उपयुक्त याचिका के साथ संपर्क करने की इजाजत दे दी है.
अगर इंसॉल्वेंसी की प्रक्रिया खराब इरादे के साथ दायर की गई है, तो सेक्शन 65 के तहत कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. NCLAT ने लेसर्स के साथ अंतरिम रेजोल्यूशनल प्रोफेशनल को भी एयरक्राफ्ट के बारे में साफ घोषणा और उसका पजेशन मोरेटोरियम की वजह से कैसे प्रभावित होगा, ये पता लगाने के लिए NCLT के पास जाने की इजाजत दे दी है.
इससे पहले लेसर्स ने कोर्ट के सामने कहा था कि उन्हें इंसॉल्वेंसी की याचिका दायर करने से पहले सुनवाई के लिए निष्पक्ष मौका नहीं दिया गया था और उन्हें इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्टसी कोड के सेक्शन 65 के तहत ऐप्लिकेशन फाइल करने का मौका भी नहीं दिया गया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि एयरलाइन ने एयरक्राफ्ट को रखने के लिए वॉलेंटरी इंसॉल्वेंसी ऐप्लिकेशन फाइल की थी.
गो फर्स्ट ने कहा था कि अगर एयरलाइन ने एयरक्राफ्ट लेने के लिए कार्रवाई शुरू भी की थी, तो ऐसा रोजाना के काम जारी रखने और नौकरियों को बचाने के लिए किया गया था. इसलिए, वोलेंटरी इंसॉल्वेंसी फाइल करने के पीछे इरादा सही था.
गो फर्स्ट ने सबसे पहले 2 मई को वॉलेंटरी इंसॉल्वेंसी के लिए NCLT से संपर्क किया था. उसने दावा किया था कि ये स्थिति तब आई है, जब उसके एक्सलूसिव इंजन सप्लायर प्रैट एंड व्हिटनी ने उसे फंक्शनल इंजन सप्लाई नहीं किए.