वित्त मंत्रालय ने चीन (China) और वियतनाम (Vietnam) से वेल्डेड स्टील पाइप्स और ट्यूब्स के आयात पर एंटी-सब्सिडी ड्यूटी (Anti-Subsidy Duty) को पांच साल के लिए बढ़ाने का ऐलान किया है. इस कदम से भारतीय स्टील कंपनियों को फायदा हो सकता है. एंटी सब्सिडी ड्यूटी को पहली बार सितंबर 2019 में लगाया गया था.
इंडस्ट्री के कई संगठनों ने शिकायत की थी कि स्टील प्रोडक्ट्स को भारत में उनकी उत्पादन की लागत से कम कीमत में निर्यात किया जा रहा है. उनका कहना था कि सब्सिडी से भारतीय स्टील इंडस्ट्री में ग्रोथ पर असर पड़ रहा है. इसके बाद सरकार ने ये कदम उठाया था.
भारतीय स्टील कंपनियों जैसे टाटा स्टील, JSW स्टील, वेल्सपन कॉर्प, रत्नामणि मेटल्स एंड ट्यूब्स को इस कदम से फायदा होगा.
एंटी-सब्सिडी ड्यूटी एक तरह का टैरिफ होता है जो उन आयातित सामान पर लगाया जाता है जिन पर निर्यात करने वाला देश सब्सिडी दे रहा है. इसका मकसद घरेलू उद्योग को अनुचित प्रतिस्पर्धा से बचाना होता है.
दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों से बढ़ते स्टील आयात से भारतीय घरेलू स्टील इंडस्ट्री को नुकसान झेलना पड़ रहा है. भारत के दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक होने के बावजूद देश FY24 में स्टील का नेट इंपोर्टर बन गया है.
ओवरऑल स्टील ट्रे़ड डेफिसिट 1.1 मिलियन टन का है. स्टील मंत्रालय के लेटेस्ट डेटा में अप्रैल-जुलाई 2024 के दौरान समान ट्रेंड देखने को मिला है. इस अवधि में भारत का स्टील ट्रेड डेफिसिट 0.11 मिलियन टन रहा है.
चीन, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देश टॉप एक्सपोर्टर्स बने हुए हैं. वियतनाम भी अहम एक्सपोर्टर बनकर सामने आ रहा है. वाणिज्य मंत्रालय के डेटा के मुताबिक कैलेंडर ईयर 2024 के पहले 7 महीनों में चीन से आयात सालाना आधार पर 10% बढ़कर $60 बिलियन पर पहुंच गया है. जबकि वियतनाम से आयात सालाना 17% की बढ़ोतरी के साथ $5.8 बिलियन हो गया है.
भारत में स्टील कारोबार पर चीन और वियतनाम से स्टील गुड्स के बढ़ते आयात से नुकसान हुआ है. इन आयात पर ज्यादा टैरिफ से भारतीय बाजार में चीन और वियतनाम के प्रोडक्ट्स पर असर पड़ेगा. इससे भारतीय स्टील कंपनियों को अपना मार्केट शेयर बढ़ाने और अपने ज्यादा प्रोडक्ट्स को घरेलू बाजार में बेचने पर मदद मिलेगी.
एंटी-सब्सिडी ड्यूटी की मदद से भारतीय स्टील कंपनियों को अनुचित ट्रेड प्रैक्टिस से बचने में मदद मिलेगी जैसे डंपिंग जिसमें विदेशी प्रोडक्ट्स को उत्पादन की लागत से कम में बेचा जाता है. इससे ये सुनिश्चित होगा कि भारतीय कंपनियों को मुकाबले के लिए समान जमीन मिलेगी.