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सरकार चावल के एक्सपोर्ट प्रतिबंधों में दे सकती है ढील; कीमतों में आएगी कमी!

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 1 अप्रैल से शुरू हुए वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में भारत का कुल चावल एक्सपोर्ट एक साल पहले की तुलना में 21% घटकर 29 लाख टन रह गया.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी10:58 AM IST, 09 Jul 2024NDTV Profit हिंदी
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सरकार चावल की कुछ किस्मों के एक्सपोर्ट प्रतिबंधों में ढील दे सकती है. ब्लूमबर्ग के मुताबिक, सूत्रों ने बताया है कि अक्टूबर में बाजार में नई फसल के आने से पहले देश में चावल की ओवरसप्लाई से बचने के लिए सरकार ये फैसला ले सकती है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल एक्सपोर्टर है. सरकार के इस फैसले का असर उपभोक्ताओं, किसानों और एक्सपोर्टर्स सभी को होगा.

20% MEP को खत्म करेगी सरकार

पहचान नहीं बताने की शर्त पर ब्लूमबर्ग को सूत्रों ने बताया कि सरकार एक फिक्स्ड ड्यूटी या चार्ज के साथ सफेद चावल के एक्सपोर्ट की मंजूरी देने पर विचार कर रही है. सरकार पारबॉयल्ड चावल के एक्सपोर्ट पर 20% की MEP को खत्म कर सकती है और इसकी जगह एक तय ड्यूटी लगा सकती है, ताकि कार्गो के कम चालान को बढ़ावा नहीं मिल सके.

सरकार महंगाई पर लगाम लगाने की कोशिश में पिछले साल से ही चावल की प्रमुख किस्मों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रही है, हालांकि अमेरिकी कृषि विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि इसकी वजह से भंडार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है.

चावल शेयरों में जोरदार तेजी 

इस खबर का असर चावल से जुड़े शेयरों पर भी दिखा, LT Foods, KRBL समेत बाकी शेयरों में तेजी देखने को मिली है.

प्रतिबंधों का कम करने की इस कदम से एशिया में चावल की कीमतों में कमी देखने को मिल सकती है, जो कि जनवरी में 15 साल की ऊंचाई पर पहुंच गईं थीं, तभी से ये इस ऐतिहासिक स्तर पर बनी हुई हैं. ये पश्चिम अफ्रीका और मध्य पूर्व के कुछ देशों के लिए अच्छी खबर होगी जो अपनी ज्यादातर खाद्य जरूरतों के लिए भारत पर निर्भर हैं.

चावल एक्सपोर्ट में आई भारी गिरावट

ब्लूमबर्ग ने बताया कि खाद्य और वाणिज्य मंत्रालय दोनों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रवक्ता ने इस मामले पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 1 अप्रैल से शुरू हुए वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में भारत का कुल चावल एक्सपोर्ट एक साल पहले की तुलना में 21% घटकर 29 लाख टन रह गया. इसी अवधि के दौरान गैर-बासमती चावल का शिपमेंट 32% गिरकर 19.3 लाख टन रह गया है.

इधर, मॉनसून के आगमन के साथ ही भारत के किसान अगली फसल के लिए अपनी मुख्य चावल की फसल की बुआई करने में जुट गए हैं, बुआई जुलाई में अपने चरम पर होगा और अनाज सितंबर के अंत से इकट्ठा किया जाएगा.

कृषि मंत्रालय के मुताबिक, पिछले महीने कम बारिश के बाद मॉनसून में सुधार के बाद, रकबा 8 जुलाई तक 60 लाख हेक्टेयर (1.48 करोड़ एकड़) था, जो एक साल पहले की तुलना में 19% ज्यादा है.

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