सरकार देश के गिग वर्कर्स के लिए बेहतर सामाजिक और वित्तीय सुरक्षा मुहैया कराने के लिए एक पेंशन योजना लाने पर काम कर रही है. इस योजना के तहत, ई-कॉमर्स एग्रीगेटर्स जैसे स्विगी, जोमैटो, ब्लिंकिट और उबर को कर्मचारियों की आय का 2% उनके पेंशन फंड में योगदान देना होगा.
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रस्तावित योजना में ये जरूरी किया गया है कि प्लेटफॉर्म एग्रीगेटर्स हर एक ट्रांजैक्शन से हुई आय का 2% काटें और इस राशि को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में जमा करें. ये कंट्रीब्यूशन वर्कर की नियमित आय के अतिरिक्त होगा और उनकी मजदूरी से नहीं काटा जाएगा.
इस पहल को अगले दो से तीन हफ्तों के भीतर औपचारिक रूप से पेश किए जाने की उम्मीद है. ये प्रमुख हितधारकों, जिसमें सरकारी अधिकारी, लेबर यूनियन और गिग इकोनॉमी प्लेटफॉर्म के प्रतिनिधि शामिल हैं, उनके बीच अंतिम चर्चा के बाद होगा.
सरकार का लक्ष्य गिग वर्कर्स के हितों के लिए बेहतर करना है, जो भारत की बदलती वर्कफोर्स का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. 1 फरवरी को पेश किए गए 2025 के बजट में गिग वर्कर्स के लिए विशेष रूप से तैयार की गई सामाजिक सुरक्षा योजना के प्रावधान शामिल थे. आर्थिक सर्वेक्षण 2024 ने भी भारत की गिग इकोनॉमी के विकास पर जोर दिया और अनुमान लगाया कि 2030 तक गिग वर्कर्स की संख्या 235 मिलियन तक पहुंच जाएगी.
इस पहल के हिस्से के रूप में, गिग वर्कर्स को यूनीक आइडेंटिटी कार्ड्स मिलेंगे और उन्हें लाभों के लिए ई-श्रम पोर्टल पर जाकर रजिस्ट्रेशन करना होगा, जिसमें पीएम जन आरोग्य योजना के तहत हेल्थ कवरेज भी शामिल है. उनकी जानकारी वेरिफाई होने के बाद वर्कर्स को EPFO से एक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) मिलेगा, जिससे वे अपने पेंशन योगदान तक पहुंच सकेंगे.
न्यूज आउटलेट को एक सूत्र ने बताया कि ये योजना व्यवहार में कैसे काम कर सकती है. उदाहरण के लिए, अगर एक गिग वर्कर क्विक-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर प्रति लेनदेन 15 रुपये कमाता है, तो नियोक्ता उस राशि का 2%, यानी 30 पैसे, वर्कर के EPFO से जुड़े UAN खाते में योगदान देगा.