ADVERTISEMENT

निर्यात से विकास दर बढ़ने की संभावना जगी

मौजूदा कारोबारी साल की दूसरी तिमाही में देश का निर्यात दहाई अंकों में बढ़ा, जिससे चालू खाता घाटा में कमी आई और देश के विकास दर में तेजी आने की संभावना जगी।
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी06:53 PM IST, 29 Dec 2013NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

मौजूदा कारोबारी साल की दूसरी तिमाही में देश का निर्यात दहाई अंकों में बढ़ा, जिससे चालू खाता घाटा में कमी आई और देश के विकास दर में तेजी आने की संभावना जगी।

वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण 2013 के पहले छह महीने में निर्यात में आम तौर पर गिरावट की ही दिशा रही।

जुलाई के बाद से हालांकि निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई, जिसका अपवाद सिर्फ नवंबर रहा, जब बंदरगाहों पर हड़ताल के कारण निर्यात प्रभावित हुआ।

जुलाई में निर्यात में 11.64 फीसदी की तेजी दर्ज की गई, जिसमें एक माह पहले साल-दर-साल आधार पर 4.56 फीसदी गिरावट रही थी।

बेहतर निर्यात का क्रम जारी रहा और अक्टूबर में इसमें 13.47 फीसदी वृद्धि रही। इस महीने रुपये में अत्यधिक अवमूल्यन के कारण निर्यात में तेजी आई और इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी संबल मिला।

जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की विकास दर 4.8 फीसदी रही, जो पहली तिमाही में 4.4 फीसदी थी।

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (एफआईईओ) के अध्यक्ष एम. रफीक अहमद ने आईएएनएस से कहा, "निर्यात भारतीय अर्थव्यवस्था की अगुआई कर रहा है, क्योंकि जुलाई-सितंबर तिमाही में इसने जीडीपी में 70 फीसदी योगदान किया।"

व्यापार घाटा भी साल की दूसरी छमाही में काफी घटा। निर्यात की तुलना में आयात जितनी मात्रा में अधिक होता है उसे व्यापार घाटा कहा जाता है।

व्यापार घाटा मई में 20.1 अरब डॉलर था, जो सितंबर में घटकर 6.8 अरब डॉलर पर आ गया।

साल के प्रथम आठ महीने में व्यापार घाटा 99.9 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले की समान अवधि में 129.2 अरब डॉलर था।

अहमद के मुताबिक मौजूदा कारोबारी साल में व्यापार घाटा 140-150 अरब डॉलर के दायरे में रह सकता है, जो पिछले कारोबारी साल में 190 अरब डॉलर था।

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की अध्यक्ष नैना लाल किदवई ने कहा, "प्रथम आठ महीने में सकल व्यापार घाटे में 23 फीसदी गिरावट आई है। इससे चालू खाता घाटा पर दबाव कम होगा और इससे रुपये में स्थिरता आएगी।"

अप्रैल-नवंबर 2013 में देश का कुल निर्यात 203.98 अरब डॉलर का रहा, जो एक साल पहले की समान अवधि में 191.95 अरब डॉलर था। यह साल-दर-साल आधार पर 6.27 फीसदी की वृद्धि है।

आयात हालांकि इसी अवधि में 5.39 फीसदी कम 303.89 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले समान अवधि मं 321.19 अरब डॉलर था।

व्यापार घाटा कम होने का फायदा चालू खाता घाटा कम होने के रूप में देखने को मिला। 2012-13 में चालू खाता घाटा 88.2 अरब डॉलर या जीडीपी का 4.8 फीसदी था। जुलाई-सितंबर 2013 तिामही में घटकर जीडीपी के 1.2 फीसदी 5.2 अरब डॉलर पर आ गया। यह पिछले साल की समान अवधि में दर्ज किए गए 21 अरब डॉलर से 75 फीसदी कम है।

2013 संक्षेप में :

- सुस्त वैश्विक मांग के कारण साल की पहली छमाही में निर्यात कम रहा

- रुपये के अवमूल्यन से जुलाई के बाद से निर्यात में तेजी आनी शुरू हुई

- जुलाई-अक्टूबर तिमाही में निर्यात दहाई अंकों में

- सोने की मांग घटने से आयात घटा

- आयात घटने और निर्यात बढ़ने के कारण व्यापार घाटा कम हुआ

- अप्रैल-नवंबर अवधि में निर्यात 6.27 फीसदी तेजी के साथ 203.98 अरब डॉलर रहा

- 2013-14 के प्रथम आठ महीने में आयात 5.39 फीसदी गिरावट के साथ 303.89 अरब डॉलर रहा

- व्यापार घाटा अप्रैल-नवंबर में 99.9 अरब डॉलर, पिछले साल की समान अवधि में यह 129.2 अरब डॉलर था

- व्यापार घाटा घटने से चालू खाता घाटा भी कम हुआ।

NDTV Profit हिंदी
लेखकNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT