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Hindenburg To Shut Shop: नियमों को ताक पर रखने वाले हिंडनबर्ग पर कैसे कसा भारत और अमेरिकी रेगुलेटर का शिकंजा

अदाणी ग्रुप को लेकर हिंडनबर्ग ने बेतुके और बेढंग आरोप लगाए, जो बाद में देश की सुप्रीम कोर्ट में बेबुनियाद साबित हुए. इसके बाद हिंडनबर्ग रिसर्च की गर्दन पर भारत और अमेरिकी रेगुलेटर्स का शिकंजा कसना शुरू हुआ.
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी10:30 AM IST, 16 Jan 2025NDTV Profit हिंदी
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हवा-हवाई रिसर्च और शॉर्टसेलिंग करके रोजी-रोटी चलाने वाले हिंडनबर्ग रिसर्च की दुकान पर ताला पड़ गया है, और इसका ऐलान उसके कर्ताधर्ता नाथन एंडरसन ने खुद किया है. इसे लेकर एंडरसन ने एक चिट्ठी लिखी है, जिसे पढ़कर तो ऐसा लगेगा कि एंडरसन ने हिंडनबर्ग रिसर्च को इसलिए बंद करने का फैसला किया है क्योंकि जो जिंदगी से उन्हें हासिल करना था, वो कर लिया है, अब परिवार दोस्तों और खुद के साथ समय बिताना चाहते हैं और न जाने क्या क्या... मगर, कहानी इसके पीछे कुछ और है.

जब कसने लगा रेगुलेटर्स का शिकंजा

अदाणी ग्रुप को लेकर हिंडनबर्ग ने बेतुके और बेढंग आरोप लगाए, जो बाद में देश की सुप्रीम कोर्ट में बेबुनियाद साबित हुए. इसके बाद हिंडनबर्ग रिसर्च की गर्दन पर भारत और अमेरिकी रेगुलेटर्स का शिकंजा कसना शुरू हुआ.

भारत की मार्केट रेगुलेटर SEBI ने पिछले साल हिंडनबर्ग रिसर्च, नाथन एंडरसन और मॉरीशस स्थित विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक मार्क किंग्डन की संस्थाओं को हिंडनबर्ग रिपोर्ट और उसके बाद अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के शेयरों में ट्रेडिंग उल्लंघन के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था. रेगुलेटर ने आरोप लगाया कि हिंडनबर्ग और एंडरसन ने धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं से जुड़े नियमों और रिसर्च एनालिस्ट के लिए आचार संहिता का उल्लंघन किया है.

SEBI ने बताया कि हिंडनबर्ग और FPI संस्थाओं ने भ्रामक डिस्क्लेमर दिया कि रिपोर्ट पूरी तरह से भारत के बाहर ट्रेड की गई सिक्योरिटीज के वैल्युएशन के लिए थी, जबकि ये ये साफतौर पर भारत में लिस्टेड कंपनियों से जुड़ी हुई थी. रेगुलेटर ने कहा कि किंग्डन ने भारतीय डेरिवेटिव मार्केट में कंपनी के फ्यूचर्स में शॉर्ट सेलर के साथ सहयोग करके और रिसर्च फर्म के साथ मुनाफा बांटकर हिंडनबर्ग को अप्रत्यक्ष रूप से अदाणी एंटरप्राइजेज में हिस्सा लेने में मदद की.

SEBI के कारण बताओ नोटिस के मुताबिक, रेगुलेटर ने आरोप लगाया कि रिपोर्ट जारी होने से पहले, अदाणी एंटरप्राइजेज के फ्यूचर्स में शॉर्ट-सेलिंग गतिविधि देखी गई थी और रिपोर्ट के बाद 24 जनवरी, 2023 और 22 फरवरी, 2023 के बीच शेयर में 59% की गिरावट आई.

SEBI को जांच में क्या मिला

SEBI की जांच से पता चला कि K-इंडिया अपॉर्चुनिटीज फंड - क्लास F ने एक ट्रेडिंग खाता खोला और रिपोर्ट जारी होने से पहले अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयर में ट्रेडिंग शुरू कर दी. इसके बाद FPI ने फरवरी में 22.25 मिलियन डॉलर या 183.24 करोड़ रुपये का लाभ कमाते हुए अपनी पोजीशंस को बेच दिया. हालांकि हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी जनवरी 2023 की रिपोर्ट को सच बताता रहा, भले ही वो अदालत में झूठ साबित हुई

जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी ग्रुप-हिंडनबर्ग रिसर्च मामले में अपने 3 जनवरी के फैसले के खिलाफ दायर एक समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अदालत ने SEBI की रेगुलेटरी शक्तियों पर भरोसा जताया और फैसला सुनाया कि याचिकाकर्ता जांच को एक स्पेशल इवेस्टीगेशन टीम को ट्रांसफर करने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं मुहैया करा सके.

अमेरिकी रेगुलेटर्स ने भी सख्ती की

जुलाई में, अमेरिकी ऑरिटीज ने शॉर्टसेलर एंड्रयू लेफ्ट पर अपने स्टॉक ट्रेड्स, सोशल मीडिया एक्टिविटीज और रिसर्च रिपोर्ट्स के जरिए धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया. ये बात दर्शाती है कि अमेरिका में निगेटिव स्टॉक पोजीशंस को बढ़ावा देने वाले ट्रेडर्स को लेकर अब सख्त कार्रवाई की जा रही है.

अमेरिकी मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन SEC ने आरोप लगाया कि एंड्र्यू लेफ्ट ने अपनी फर्म सिट्रॉन के जरिए काम करते हुए लगभग दो दर्जन कंपनियों से जुड़ी व्यापारिक गतिविधियों से अवैध रूप से लगभग 20 मिलियन डॉलर का मुनाफा कमाया. इसके अलावा, जस्टिस डिपार्टमेंट ने लेफ्ट के खिलाफ आपराधिक आरोप लगाए, उन पर सिक्योरिटीज फ्रॉड और हेज फंड से उनके मुआवजे के बारे में कथित तौर पर जांचकर्ताओं को गुमराह करने का आरोप लगाया.

प्रॉसिक्यूटर्स का दावा है कि रिसर्च रिपोर्ट छपने या सार्वजनिक टिप्पणी करने के बाद एंड्र्यू लेफ्ट तेजी से अपनी पोजीशन बेच दिया करता था. इस रणनीति ने उसे शॉर्ट टर्म में कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा मिलता था.

रेगुलेटर ने कहा 'SEC निवेशकों को याद दिलाता है कि वे संशय में रहें और कभी भी केवल सोशल मीडिया या दूसरी असत्यापित प्लेटफार्म्स से मिली जानकारी के आधार पर निवेश संबंधी फैसले न लें.' शॉर्ट-सेलिंग मुनाफा न्यूनतम हो सकता है, भले ही एक अच्छी तरह से रिसर्च की गई रिपोर्ट बाजार पर बड़ा असर डालती हो. इसके अलावा, इन मामूली लाभों की भरपाई मुकदमों और हाल ही में सरकारी जांच से जुड़े खर्चों से की जा सकती है.

उदाहरण के लिए, हिंडनबर्ग रिसर्च ने दावा किया कि उसने अदाणी शॉर्ट के जरिए केवल 4.1 मिलियन डॉलर कमाए.

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