हिंदुस्तान जिंक (Hindustan Zinc Ltd.) ने अपने बिजनेस को 2 भागों में बांटने का फैसला किया है. एक जिंक या लेड होगा और दूसरा सिल्वर बिजनेस. कंपनी अपने बिजनेस को उस पैनल का सुझावों के आधार पर अलग कर रही है, जिसे वेदांता लिमिटेड कंपनी की वैल्यू अनलॉकिंग की जिम्मेदारी दी गई थी.
इसके पहले कंपनी को 3 हिस्सों में बांटने की योजना बनाई गई थी. इसमें जिंक, सिल्वर और रिसाइकिलिंग बिजनेस को 3 अलग अलग यूनिट में बांटा जाना था.
हिंदुस्तान जिंक की चेयरपर्सन प्रिया अग्रवाल हेब्बर (Priya Agarwal Hebbar) ने NDTV Profit को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा, 'हम इस डीमर्जर की तरफ बढ़ रहे हैं, और इसके पीछे सबसे बड़ी वजह हमारे शेयरधारकों का हित है'.
उन्होंने कहा, 'अगर निवेशक केवल सिल्वर में या फिर जिंक या टेक्नोलॉजी में निवेश करना चाहते हैं, तो उनके पास ये विकल्प आ सकता है. इसके जरिए कंपनी भी अपनी सही क्षमता तक पहुंच सकती है'.
कंपनी अपने रिसाइकिल बिजनेस को सब्सिडियरी की तरह रखना चाहती है. प्रिया अग्रवाल हेब्बर ने कहा, 'हम रिसाइकिलिंग बिजनेस को और बड़ा बनाना चाहते हैं. ये कंपनी की स्थिरता के लिए जरूरी है कि कंपनी के रिसाइकिलिंग बिजनेस को दुनिया में सबसे बड़े स्तर पर ले जाया जाए.
डीमर्जर को फिलहाल केंद्र सरकार की मंजूरी चाहिए. केंद्र सरकार के पास इसमें बड़ी हिस्सेदारी है. इस साल अप्रैल तक इस डीमर्जर के होने का अनुमान है.
हिंदुस्तान जिंक का प्लान अपने कार्बन उत्सर्जन में कमी लाकर प्रोडक्शन की कीमतों को घटाना है. कंपनी का प्लान रिन्यूएबल पावर में स्विच करना है.
हेब्बर ने कहा, 'हमने सेरेंटिका रिन्यूएबल्स के साथ 450 MW रिन्यूएबल पावर के लिए टाई-अप किया है. जिससे हमारी ऊर्जा की खपत को सपोर्ट मिलेगा'.
कंपनी अपने एनर्जी ट्रांजिशन को अप्रैल 2024 से शुरू करेगी और जून 2025 तक कंपनी अपने कार्बन उत्सर्जन को 27 लाख टन तक कम कर सकती है. फिलहाल, हिंदुस्तान जिंक अपनी कैप्टिव पावर यूनिट्स से ऊर्जा लेती है.
कंपनी ने अपने प्रोडक्शन की कीमतें घटकर $1,000/टन का गाइडेंस दिया है. दिसंबर तिमाही में प्रोडक्शन $1,095/टन था.
कंपनी इसके लिए अपने माइनिंग को लेकर इलेक्ट्रिफिकेशन और ऑटोमेशन पर फोकस कर रही है. हिंदुस्तान जिंक ने इसके लिए पूरी तरह से ऑटोमेटेड मशीनों का इस्तेमाल किया है, जिन्हें ऑन ग्राउंड कंट्रोल रूम से कंट्रोल किया जा सकता है.
हेब्बर ने 2019 में कंपनी के चेयरपर्सन का पदभार संभाला था और अभी कंपनी में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दे रही हैं.
उन्होंने कहा, 'जब मैंने बोर्ड ज्वाइन किया था, तो पुरुषों का बाहुल्य था. अभी बोर्ड में 5 महिलाएं हैं'.
हेब्बर खदानों में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करती हैं. इस समय सिंदेसर खुर्द खदान में 500 से ज्यादा महिलाएं काम करती हैं, जिसमें 200 महिला इंजीनियर हैं, जो कुल वर्कफोर्स का 20% हैं. 2030 तक ये बढ़कर 30% तक हो सकता है.
अगर अनस्किल्ड कैटेगरी में महिलाओं को जगह मिले, तो कंपनी में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी. इसके साथ ही LGBTQ समुदाय के लोगों को भी रोजगार पाने के अवसर मिलेंगे.