संस्कृत में ऋषि चार्वाक का एक श्लोक है- ‘यवज्जीवेत्, सुखम् जीवेत; ऋणम् क्रित्वा, घृतम् पिबेत्.' यानी जब तक जीयो, मौज से रहो; कर्ज लेकर घी पीयो. तो क्या पिछले कुछ वर्षों से भारतीय परिवारों का भी यही हाल है? क्या वे भी कर्ज लेकर मौज कर रहे हैं?
सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़े तो कुछ ऐसा ही इशारा कर रहे हैं. भारतीय परिवारों की सेविंग्स लगातार कम हो रही है और ये 5 साल के न्यूनतम स्तर पर रहने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2023-24 में घरेलू बचत में लगातार तीसरे साल गिरावट के पीछे वजह है- होम और कार लोन पर बढ़ते ब्याज के चलते बढ़तीं देनदारियां.
नेशनल अकाउंट स्टेटिस्टिक्स-2024 के अनुसार, नेट डोमेस्टिक सेविंग्स तीन वर्षों में 9 लाख करोड़ रुपये की गिरावट के साथ 14.16 लाख करोड़ रुपये रह गई है.
कोविड की दूसरी लहर के दौरान वर्ष 2020-21 में घरेलू बचत 23.29 लाख करोड़ रुपये के शिखर पर पहुंच गई थी. रिकॉर्ड हाई पर पहुंचने के बाद से इसमें लगातार गिरावट आ रही है. 2021-22 में घरेलू बचत का आंकड़ा गिर कर 17.12 लाख करोड़ रुपये और 2022-23 में गिर कर 14.16 लाख करोड़ रुपये रह गया. FY24 के आंकड़े आने बाकी हैं.
आइए समझने की कोशिश करते हैं कि बचत में इस गिरावट के पीछे आखिर वजह क्या हैं और इसको लेकर इकोनॉमिस्ट्स क्या राय रखते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, होम लोन और व्हीकल लोन पर बढ़ते ब्याज के कारण देनदारियों में बढ़ोतरी जारी है. हालांकि पर्सनल लोन पर रिजर्व बैंक के अंकुश से 2024-25 में ये प्रवृत्ति उलट सकती है.
इक्रा (ICRA) की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने ताजा आंकड़ों पर बात करते हुए कहा कि 2022-23 में घरेलू बचत में गिरावट की मुख्य वजह देनदारियों में सालाना आधार पर 73% की बढ़ोतरी रही. उन्होंने कहा, 'आंकड़ों पर गौर करें तो बीते वित्त वर्ष 2023-24 में भी घरेलू बचत में गिरावट की प्रवृत्ति जारी रहने का अनुमान है.' बता दें कि घरेलू बचत से जुड़े आंकड़े अभी जारी नहीं किए गए हैं.
नायर ने कहा, 'हालांकि 2024-25 में ये प्रवृत्ति उलट सकती है, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक ने बिना गारंटी वाले पर्सनल लोन पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाए हैं.'
चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर वी अनंत नागेश्वरन ने इस गिरावट की वजह पोर्टफोलियाे शिफ्ट को बताया, जहां बचत को रियल एसेट्स में इन्वेस्ट किया जा रहा है.
NCAER के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'वित्त वर्ष 2022-23 में घरेलू बचत कम रही और इसे लेकर कुछ चिंताएं थीं. इससे पता चला कि घरेलू बचत कम हो रही है, लेकिन वास्तव में ये एक पोर्टफोलियो शिफ्ट था, जहां सेंविंग्स रियल एसेट्स में लगाई जा रही थी.'
फाइनेंशियल बॉडीज और NBFC की ओर से लोगों को दिए गए लोन का आंकड़ा 2022-23 में 4 गुना होकर 3.33 लाख करोड़ रुपये हो गया. 2020-21 में ये आंकड़ा 93,723 करोड़ रुपये था. वित्त वर्ष 2021-22 के 1.92 लाख करोड़ रुपये की तुलना में कर्ज का आंकड़ा 2022-23 में यह 73% बढ़ा.
केंद्रीय बैंक RBI ने पर्सनल लोन में बढ़ोतरी को देखते हुए पिछले साल नवंबर में बिना गारंटी वाले लोन पर लगाम लगाने के लिए प्रावधानों में बदलाव किया था.