देश की सबसे बड़ी FMCG कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) अपने साबुन के प्रोडक्ट्स में पाम ऑयल (Palm Oil) की मात्रा को कम करने पर विचार कर रही है. HUL अपने साबुन के प्रोडक्ट्स में पाम ऑयल में 25% तक कमी करने पर विचार कर रही है.
इस पर पाम ऑयल से जुड़ी संस्था एशियन पाम ऑयल अलायंस (APOA) ने चिंता जताई है. HUL के MD & CEO रोहित जावा (Rohit Jawa) को APOA चेयरमैन अतुल चतुर्वेदी (Atul Chaturvedi) ने खत लिखा है. उन्होंने खत में पाम ऑयल बनाने वाले और खासकर छोटे काम करने वाले लोगों के रोजगार प्रभावित होने पर चिंता जताई है.
बढ़ती इनपुट कॉस्ट से पाम ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, जिस पर चतुर्वेदी ने कहा कि इसके लिए केवल पाम ऑयल को दोष देना 'अनुचित' है क्योंकि पाम ऑयल की कीमतें सोया और सूरजमुखी के तेल की तरह डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करती हैं.
पाम ऑयल बॉडी ने HUL को इस पर दोबारा विचार करने का आग्रह किया है. चतुर्वेदी ने कहा कि पाम ऑयल के किसानों की जिंदगी पर इससे बड़ा असर पड़ सकता है.
HUL ने पाम ऑयल की बढ़ती कीमतों और पर्यावरणीय चिंताओं को देखते हुए की अपने साबुन से मात्रा में कटौती करने का फैसला किया है.
APOA में भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्री लंका और नेपाल के प्रतिनिधि हैं और पाम ऑयल के प्रोडक्शन और खपत को प्रोमोट करते हैं.