भारत की अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे पुनरूद्धार की उम्मीद है. इस वित्त वर्ष में औसत सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) वृद्धि 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो पिछले वित्त वर्ष के 6.6 प्रतिशत से अधिक है. जापान की वित्तीय सेवा देने वाली कंपनी नोमुरा की रिपोर्ट के अनुसार रिजर्व बैंक के निकट भविष्य के अनुमान में गिरावट देखी जा सकती है. उसने कहा, ‘अपने आधार पर हमारा मानना है कि नोटबंदी और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत वृद्धि में आयी गिरावट कम होने लगेगी और इस साल जुलाई-सितंबर तिमाही से वृद्धि सुधरने लगेगी.’
नोमुरा ने कहा कि उसके मुख्य संकेतकों से गैर-कृषि सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि में सुधार, फसलों की बुवाई में गिरावट तथा जीएसटी क्रियान्वयन के कारण कार्यशील पूंजी की कमी के संकेत मिलते हैं.
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क्षमता के कम उपयोग और बैंकों के संकटग्रस्त बही-खाता के कारण निवेश में लगातार कमी आयी है. नोमुरा ने कहा, ‘इसी कारण हमें धीरे-धीरे चक्रीय पुनरूद्धार की उम्मीद है.
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सकल मूल्य वर्द्धन वृद्धि वित्त वर्ष 2016-17 के 6.6 प्रतिशत से बढ़कर 2017-18 में 6.7 प्रतिशत हो जाएगी तथा जीडीपी वृद्धि सात प्रतिशत से अधिक होगी.’ मंहगाई के बारे में रिपोर्ट में कहा गया कि इसमें तेजी आयी है लेकिन इसका कारण सांख्यिकीय और आपूर्ति संबंधी मुद्दे हैं. मांग से होने वाली मंहगाई अनुपस्थित है. उसने कहा, ‘सब्जियों की कीमतों में फिर से सुधार हुआ है और इससे अक्टूबर में मंहगाई में कमी आनी चाहिए. हालांकि हमारा अनुमान है कि 2018 में खुदरा मंहगाई दर 4.5 प्रतिशत से अधिक रहेगी.’
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