ADVERTISEMENT

Explainer: भारत-मॉरीशस टैक्स संधि संशोधन पर क्यों मची है हलचल! स्पष्टीकरण क्यों है जरूरी?

संशोधित प्रोटोकॉल के मुताबिक, भारत-मॉरीशस टैक्स संधि का फायदा उन टैक्सपेयर्स को नहीं मिलेगा, जो मॉरीशस के जरिए अपना निवेश लेकर आ रहे हैं, अगर इसे सही तरीके से पूरा किया जाए.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी02:37 PM IST, 12 Apr 2024NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

भारत और मॉरीशस के बीच हुई टैक्स संधि (India-Mauritius tax treaty) अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया है, जिसका जवाब मिलना बहुत जरूरी है. टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि संधि की भाषा में काफी कुछ अधूरा है, जिस पर तुरंत सफाई आने की जरूरत है, क्योंकि इस संशोधन के चलते सभी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशों पर बड़ा असर देखा जा सकता है.

दोनों देशों ने डबल टैक्सेशन एवॉयडेंस एग्रीमेंट (DTAA) में संशोधन करने के लिए एक प्रोटोकॉल पर दस्तखत किए हैं, जिसमें ये तय करने के लिए मुख्य रूप से इस बात का निरीक्षण शामिल था कि कोई विदेशी निवेशक इस संधि के लाभों के लिए पात्र है या नहीं.

NDTV प्रॉफिट ने इस मामले पर टैक्स एक्सपर्ट्स दिनेश कनाबर और प्रणव सयता से बात की और ये जानने की कोशिश की इन संशोधनों का विदेशी निवेशकों पर किस तरह से असर पड़ेगा.

संधि में क्या संशोधन किए गए हैं?

भारत और मॉरीशस सरकारों ने दोनों देशों के बीच डबल टैक्सेशन एवॉयडेंस एग्रीमेंट में संशोधन के लिए एक समझौता किया. ऐसे में मॉरीशस के रास्ते भारत में आने वाले निवेश पर अब कड़ी नजर रहेगी. संधि का लाभ उठाने के लिए निवेशकों को मॉरीशस एंटिटी के जरिए निवेश करना होगा

अर्न्स्ट एंड यंग में इंटरनेशनल टैक्स एंड ट्रांजैक्शन सर्विसेज के इंडिया नेशनल लीडर प्रणव सयता कहते हैं कि - इसका मतलब ये हुआ कि कोई विदेशी निवेशक जो मॉरीशस एंटिटी के साथ भारत में निवेश कर रहा है, उसे अब ये दिखाना होगा कि भारत में निवेश का मुख्य उद्देश्य टैक्स को कम करना नहीं था, बल्कि कर कम करना नहीं था.

इसकी क्या जरूर थी

इस संशोधन की जरूरत क्या थी और ये क्यों किया गया, तो इसका मकसद नॉन-टैक्सेशन या टैक्सेशन को कम करने के मौकों को नियंत्रित करना है, खासतौर पर तीसरे क्षेत्राधिकार के निवासियों के लिए जो संधि खरीदारी व्यवस्था के जरिए संधि का लाभ उठाने के मकसद से करते हैं,

संशोधन में एक परीक्षण किया गया है, ताकि ये तय किया जा सके कि कोई विदेशी निवेशक संधि लाभों का दावा करने के लिए पात्र है या नहीं. संशोधित प्रोटोकॉल के मुताबिक, भारत-मॉरीशस टैक्स संधि का फायदा उन टैक्सपेयर्स को नहीं मिलेगा, जो मॉरीशस के जरिए अपना निवेश लेकर आ रहे हैं, अगर इसे सही तरीके से पूरा किया जाए.

PPT को शुरू करने का मकसद ये सुनिश्चित करके 'टैक्स एवॉयडेंस' को कम करना है कि संधि का फायदा केवल सही मकसद वाले लेनदेन के लिए ही दिए जाएं. ध्रुवएडवाइजर्स के CEO दिनेश कनाबर ने कहा कि भारत में मॉरीशस के जरिए से निवेश में गिरावट आई है और ये कहना कि कोई रेट्रोस्पेस्क्टिव इरादा नहीं है, एक तत्काल स्पष्टीकरण बहुत जरूरी होगा.

बाजार पर असर

टैक्स एक्सपर्ट सयता के मुताबिक - संधि में इस संशोधन का पब्लिक मार्केट्स पर ज्यादा असर नहीं पड़ सकता है, क्योंकि ज्यादातर निवेश 2024 तक बाहर निकल जाएंगे. "कुछ अनिश्चितता है कि क्या GAAR प्रावधानों को पेश किए जाने पर कुछ ग्रैंडफादरिंग की गारंटी दी गई थी, क्या वे अब इस PPT के पेश होने के बावजूद जारी रहेंगे.'

नए प्रोटोकॉल से एंटिटीज के जरिए मॉरीशस का निवेश भी प्रभावित होगा. प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर होने और इसके लागू होने की तारीख के बाद, अगर कोई निवेश बेचा जाता है तो उससे होने वाला कोई भी कैपिटल गेंस ही प्रभावित होगा, न कि निकासी.

संशोधन में अनिश्चतता

एक्सपर्ट्स के मुताबिक दो मोर्चों पर अनिश्चितता है: प्रभावी माने जाने की तारीख और क्या यह पुराने निवेशों की भी रक्षा करेगा - जो 31 मार्च, 2017 से पहले किए गए निवेश हैं. सयता का कहना है कि इस मोर्चे पर स्पष्टता और निश्चितता जरूरी है.

दिनेश कनाबर के मुताबिक, प्रोटोकॉल की शब्दावली से पता चलता है कि ये संशोधन सभी मौजूदा निवेशों और पिछले सभी वर्षों पर भी लागू होगा. इस संशोधन के परिणामस्वरूप सभी FPIs पर काफी असर पड़ सकता है, क्योंकि टैक्स एक्सपर्ट इसे लागू कर सकते हैं, भले ही निवेश बहुत पहले किया गया हो. उन्होंने कहा कि टैक्स अधिकारी पीछे के वर्षों में जाकर किए गए निवेश पर बिना किसी ग्रैंडफादरिंग सिक्योरिटी के संशोधन को लागू कर सकते हैं.

सयता का कहना है कि मुझे लगता है कि इसकी जरूरत नहीं थी, इसे केवल भावी तौर पर लागू करने का इरादा था, हालांकि, भाषा वैसी नही है, जैसी होनी चाहिए थी और मुझे उम्मीद है कि तुरंत कुछ स्पष्टीकरण जारी किया जाएगा.

2016 तक भारतीय कंपनियों में शेयरों की बिक्री से होने वाला कैपिटल गेंस टैक्स फ्री होने के कारण मॉरीशस भारत में निवेश के लिए पसंदीदा क्षेत्र रहा है. 2016 में, भारत और मॉरीशस ने एक संशोधित टैक्स समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसने भारत को 1 अप्रैल, 2017 से मॉरीशस के जरिए शेयरों में लेनदेन पर भारत में कैपिटल गेंस टैक्स लगाने का अधिकार दिया. हालांकि, अप्रैल 2017 से पहले किए गए निवेश ग्रैंडफादर्ड थे, यानी नियम लागू होने के पहले के निवेश थे.

2016 के बाद से, मॉरीशस से FDI निवेश FY2017 में 15.72 बिलियन डॉलर से घटकर FY23 में 6.13 बिलियन डॉलर हो गया है.

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT