जीरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ (Nikhil Kamath) का कहना है कि भारत में प्रिवेंटिव हेल्थकेयर (रोगों से बचाव) का मार्केट तेजी से बढ़ने वाला है और उद्यमियों के लिए इसमें कदम रखने का ये सही समय है. कामथ ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते बोझ को उजागर करते हुए प्रिवेंटिव हेल्थकेयर की जरूरत पर जोर दिया.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत का प्रिवेंटिव हेल्थकेयर मार्केट 2025 तक 197 अरब डॉलर (करीब 16 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचने का अनुमान है. प्रिवेंटिव हेल्थकेयर में एक्सरसाइज, हेल्दी न्यूट्रिशन, हेल्थ इंश्योरेंस, शुरुआती ट्रीटमेंट और हेल्थ ट्रैकिंग जैसी चीजें शामिल हैं.
कामथ ने कहा, 'पिछले एक दशक में हेल्थ से जुड़ी हर चीज जल्दी लगती थी, लेकिन अब ये बदल रहा है. शहरी भारत में हेल्थ और लॉन्गेविटी (लंबी उम्र) मुख्यधारा में आ रहे हैं. उद्यमियों के लिए हेल्थ सेक्टर में कुछ बनाने का ये सही समय हो सकता है.'
कामथ ने बताया कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भारतीय प्रिवेंटिव हेल्थकेयर पर औसतन 4,000 से 10,000 रुपये खर्च करते हैं. भारत में प्रिवेंटिव हेल्थकेयर मार्केट का 51% हिस्सा केवल फिटनेस और वेलनेस से जुड़ा है. उन्होंने ये भी कहा कि भारत के सबसे अमीर 35% लोग प्रिवेंटिव हेल्थकेयर पर होने वाले खर्च का 98% हिस्सा खर्च करते हैं.
कामथ ने कहा, 'फिटनेस की ओर हमें एक सांस्कृतिक बदलाव की जरूरत है, हमें फिटनेस को अपनाने की आदत डालनी होगी, नहीं तो आलस्य की बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है.'
देश में लगभग 96,278 जिम हैं. हालांकि जिम कल्चर बढ़ रहा है, लेकिन ये अभी शुरुआती चरण में है. वैश्विक आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत में जिम मेंबरशिप लेने वाले वयस्कों की संख्या केवल 0.2% है, जबकि अमेरिका में ये आंकड़ा 21.2% और यूके में 15.6% है. इसके अलावा, भारत में 50% से अधिक जिम सदस्य नियमित रूप से जिम नहीं जाते हैं.
कामथ ने बताया कि नए साल के संकल्पों के कारण 12.5% नए जिम सदस्य बनते हैं, लेकिन इनमें से 80% लोग पांच महीने भी नहीं टिक पाते हैं. उन्होंने कहा कि ग्रुप में वर्कआउट करने से प्रेरणा मिलती है. उदाहरण के लिए, 10 लोगों के ग्रुप में दौड़ने, साइकिल चलाने या हाइकिंग करने से अकेले वर्कआउट की तुलना में 40% अधिक दूरी तय की जा सकती है.
भारत के फिटनेस और वेलनेस मार्केट का अनुमानित आकार 98 बिलियन डॉलर (करीब 8 लाख करोड़ रुपये) है. कामथ ने कहा, 'भारत में फिटनेस क्रांति बढ़ रही है, लेकिन नियमितता अभी भी एक चुनौती है.'
GOQii की इंडिया फिट रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, भारत में 46% से अधिक आबादी अस्वस्थ जीवनशैली जी रही है, जिसके कारण बीमारियों से घरों की बचत खत्म हो रही है. कोविड ने दुनिया भर में लाइव फिटनेस कंटेंट की खपत में 1,300% की वृद्धि की है, जिससे फिटनेस उद्योग को बढ़ावा मिला है.
कामथ ने कहा कि जिम में महिलाओं की भागीदारी आज 45% है, जो इस अंतर को पाट सकती है. उन्होंने कहा, 'सरकार की 'फिट इंडिया मूवमेंट' जैसी पहल भारत में फिटनेस की लहर को और बढ़ावा दे रही है.'
कुल मिलाकर, भारत में प्रिवेंटिव हेल्थकेयर और फिटनेस सेक्टर में बड़े अवसर हैं, लेकिन इसे लेकर जागरूकता और नियमितता की जरूरत है.