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जय कोटक ने जीरोधा के निखिल कामथ से कहा, 'कृपया हमारे पीछे न पड़ें'

बेंगलुरु में ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट 2025 में कामथ ने कहा कि नई पीढ़ी के प्लेयर्स बैंकिंग बिजनेस डिसरप्ट नहीं कर सकते.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी07:24 PM IST, 13 Feb 2025NDTV Profit हिंदी
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पिछले एक दशक में भारत में फिनटेक आउटलुक (Fintech) में काफी बदलाव आया है. जीरोधा जैसे नए-पीढ़ी के स्टार्टअप ने लोगों के फाइनेंस को मैनेज के तरीके में क्रांति ला दी है. इस बदलते आउटलुक में पारंपरिक प्लेयर्स को अस्तित्व बचाने के लिए नए-नए प्रयोग करने पर मजबूर होना पड़ा है. लेकिन क्या नए प्लेयर्स के लिए बैंकिंग क्षेत्र में प्रवेश करने का समय आ गया है? जीरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ के मुताबिक, ये आसान नहीं हो सकता है.

बेंगलुरु में ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट 2025 में कामथ ने कहा कि नई पीढ़ी के प्लेयर्स बैंकिंग बिजनेस में डिसरप्ट नहीं कर सकते हैं. भले ही वे चाहें, उन्होंने इस क्षेत्र में रेगुलेटरी बाधाओं की ओर इशारा किया है.

कामथ की टिप्पणी कोटक 811 के को-फाउंडर जय कोटक द्वारा 'लीडिंग द चार्ज: यंग इनोवेटर्स शेपिंग इंडियाज फ्यूचर' शीर्षक से पैनल चर्चा के दौरान जीरोधा जैसी फिन-टेक फर्मों के बढ़ते प्रभाव के बारे में की गई. कोटक ने वित्तीय क्षेत्र में कमियों और क्या स्टार्टअप उनके आसपास समाधान बना सकते हैं. इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, 'आप पहले ही ब्रोकिंग बिजनेस को डिसरप्ट कर चुके हैं. कृपया हमारे पीछे न पड़ें. भारत में पारंपरिक बैंकिंग क्षेत्र में मौजूद रेगुलेटरी बाधाओं को देखते हुए कामथ ने कहा, हम चाहते हुए भी लाइसेंस नहीं पा सकते.

जीरोधा, जिसकी स्थापना 2010 में नितिन कामथ और निखिल कामथ ने की थी. स्टॉक ट्रेडिंग में बदलाव लाने में सबसे आगे रहा है. इस प्लेटफॉर्म ने कम लागत वाले, टेक्निकल मॉडल के साथ स्टॉक ट्रेडिंग को लोगों के लिए अधिक सुलभ बनाया, जो इक्विटी निवेश पर ब्रोकरेज नहीं लेता है.

अक्टूबर 2023 तक एक्टिव यूजर के मामले में जीरोधा टॉप की ब्रोकरेज फर्म थी. उसके बाद फिनटेक स्टार्टअप ग्रो ने इसे पीछे छोड़ते हुए भारत की अग्रणी ब्रोकरेज फर्म बन गई. भारत में बदलते बैंकिंग मेट्रिक्स पर बोलते हुए जय कोटक ने कहा कि UPI और आधार का एंट्री इस क्षेत्र में एक गेम चेंजर रहा है, जो 8 या 10 साल पहले तक सिर्फ पुराने मॉडल पर चल रहा था.

जय कोटक ने कहा कि UPI ने छोटे-छोटे लेनदेन को पूरी तरह से सुव्यवस्थित कर दिया है. जिससे नकदी की आवश्यकता समाप्त हो गई है. आधार ने KYC की अवधारणा को बदल दिया है और इसे बहुत अधिक सहज बना दिया है. डिमोनेटाइजेशन और कोविड ने एक साथ मानसिकता को बदल दिया है हैंडसेट और कम्युनिकेशन क्रांति ने लोगों के हाथों में उपलब्धता को बदल दिया है. मुझे लगता है कि इसने बैंकिंग और सभी वित्तीय सेवाओं को मौलिक रूप से बदल दिया है.

कोटक के मुताबिक, अपने वर्तमान स्वरूप और रूप में बैंकों को 'चिंतित होना ही चाहिए'. कोटक ने कहा कि भारत में बैंकिंग प्रणाली को अपने ग्राहकों के प्रति अधिक 'संवेदनशील' होने की आवश्यकता है ताकि फिन-टेक स्टार्टअप के बढ़ते प्रभाव के बीच जीवित रह सकें.

जय कोटक ने कहा कि मुझे लगता है कि बैंकिंग प्रणाली के स्तर से हम अपने ग्राहकों के प्रति पर्याप्त संवेदनशील नहीं हैं. हमें अपने ग्राहकों के साथ व्यवहार करने, टेलीकॉलिंग, ब्रैंड अनुभव, हमारे मोबाइल ऐप की गुणवत्ता के मामले में बहुत बेहतर करने की आवश्यकता है. हम अभी उस जगह से बहुत पीछे हैं जहां हमें होना चाहिए.

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