देश के रिटेल सेक्टर में जुलाई में काफी मंदी रही है और ओवरऑल सेल ग्रोथ मात्र 2% रहा है. रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (RAI) के मुताबिक, कोविड महामारी के बाद से ये इंडस्ट्री की सबसे धीमी ग्रोथ रेट है.
सेल्स के मोर्चे पर पिछले 18 महीनों से संघर्ष कर रहे रिटेलर्स ग्रोथ रेट को दोहरे अंक तक पहुंचाने में सफल रहे थे, लेकिन जुलाई में स्थिति बेहद निराशाजनक रही.
जुलाई का डेटा पिछले साल इसी अवधि में देखी गई 9% ग्रोथ और जून में देखी गई 5% ग्रोथ की तुलना में भी काफी कम है.
सोमवार को जारी मंथली सर्वे में विभिन्न सेक्टर्स में प्रदर्शन मिला-जुला रहा. फूड और ग्रॉसरी की सेल में 6% की ग्रोथ दर्ज की गई, जबकि फर्नीचर और फर्निशिंग के साथ-साथ स्पोर्ट्स के सामान की बिक्री में गिरावट आई. ये दर्शाता है कि कंज्यूमर्स नॉन-इसेंशियल यानी गैर-जरूरी खर्च को लेकर सतर्क हो रहे हैं.
भौगोलिक रूप से देखें तो पश्चिम भारत में 3% की सेल्स ग्रोथ देखी गई, उसके बाद दक्षिण भारत में 2%, जबकि उत्तर और पूर्वी भारत में 1% की ग्रोथ दर्ज की गई.
ये स्थिति तब सामने आई है, जब जुलाई में देश में रिटेल महंगाई 3.5% तक धीमी हुई है और महंगाई की ग्रोथ रेट करीब 5 साल में पहली बार केंद्रीय बैंक RBI के लक्ष्य (4%) से नीचे गिर गई.
RAI के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर कुमार राजगोपालन ने खपत (Consumption) को बढ़ावा देने के लिए तत्काल रणनीतिक हस्तक्षेप (Strategic Interventions) का आह्वान किया.
रिटेल सेक्टर चुनौतियों का सामना कर रहा है, क्योंकि व्यवसायों को पिछले वर्ष की तुलना में अभी तक वास्तविक ग्रोथ नहीं दिखी है. ज्यादातर रिटेलर्स कह रहे हैं कि समान आधार पर ग्रोथ निगेटिव है, जो चिंता का विषय है.कुमार राजगोपालन, चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर, RAI
जैसे-जैसे कोविड-19 प्रतिबंध कम होते गए, खुदरा व्यवसायों ने लंबे समय तक घर के अंदर रहने के बाद एग्रेसिव होकर खरीदारी की और इसकी बदौलत रिटेल सेक्टर ने मजबूत सेल दर्ज की. दफ्तरों के फिर से खुलने और बाहर खाने-पीने और लोगों से मिलने-जुलने के बाद कंज्यूमर्स ने अपने आउटफिट को बेहतर बनाया, जिससे वित्त वर्ष 23 में मंथली ग्रोथ 13-24% रही थी.
हालांकि, ये रफ्तार बरकरार नहीं रह पाई, कारण कि कंज्यूमर्स ने ज्यादा महंगाई के चलते अपने खर्चों में कटौती की. RAI डेटा से पता चला कि अप्रैल 2023 और जून 2024 के बीच की अवधि में 3-9% की धीमी ग्रोथ रेट देखी गई.
कमजोर मांग ने रिटेलर्स को स्टोर बंद करने, एक्सपेंसन प्लान्स को कम करने को मजबूर किया. साथ ही जिन बाजारों में प्रॉफिट नहीं हो रहा था, वहां से बाहर निकलने को भी मजबूर किया. ऐसी परिस्थितियों में स्थाई और कॉन्ट्रैक्ट वाले, दोनों तरह के कर्मचारियों की नौकरी चली गई.
रिटेल सेक्टर को अब आने वाले त्यौहारी सीजन से उम्मीद है. रिटेलर्स का मानना है कि आने वाले दिनों में ग्रोथ में सुधार संभावित है.
आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल के MD आशीष दीक्षित ने इस महीने की शुरुआत में पोस्ट अर्निंग कॉल के दौरान एनालिस्ट्स से कहा, 'कुल मिलाकर खपत का माहौल कमजोर बना हुआ है.'
दीक्षित ने कहा, 'विशेष रूप से अपैरल मार्केट पर वेडिंग सीजन में सुस्ती और लंबे समय तक हीट वेव का असर पड़ा है, जिससे कंज्यूमर्स की गतिविधियों में कमी आई है. हम आगामी वेडिंग और फेस्टिव सीजन में बेहतर मांग होने की उम्मीद करते हैं, जिससे हम बाजार में इन अवसरों को भुनाने के लिए अधिक मजबूत स्थिति में होंगे.'
डिमांड में कमी के पीछे कई कारण रहे हैं. इनमें लगन की कम तारीखों, लंबे चुनावी मौसम, हीट वेव के साथ-साथ महंगाई जैसे कारण शामिल रहे हैं. हालांकि अब त्यौहारी सीजन में माॅनसून और GDP ग्रोथ के चलते रिटेल सेक्टर की अच्छी ग्रोथ होगी.कविंद्र मिश्रा, CEO, शॉपर्स स्टॉप
कविंद्र मिश्रा ने कहा, 'हम एक बहुत मजबूत फेस्टिव कैंपेन की उम्मीद कर रहे हैं. मुझे विश्वास है कि बड़े वेडिंग और फेस्टिव सीजन के साथ FY25 की दूसरी छमाही, (पहली छमाही के महज 14 की तुलना में इस बार लगभग 50) हमें हाई प्रोडक्टिविडी देगी और हमें वापस उस स्थिति में ले जाएगी जहां हम होते हैं.'