कर्नाटक हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में ओला, उबर जैसे कैब एग्रीगेटर्स को GST के मामले में अंतरिम राहत दी है. अदालत ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) को छह सप्ताह के भीतर टैक्स पर स्पष्टता देने का निर्देश दिया है.
ये फैसला उबर की रिट याचिका के बाद आया है जिसमें एडवांस रूलिंग अथॉरिटी की ओर से ऐसे ऑपरेटरों की तरफ से दी जाने वाली सेवाओं पर परस्पर विरोधी फैसले जारी करने के बाद टैक्स देनदारी पर स्पष्टीकरण की मांग की गई थी.
हाल ही में, कर्नाटक AAR ने निर्धारित किया कि बेंगलुरु की नम्मा यात्री (Namma Yatri) को अपने ऐप के माध्यम से सर्विस प्रोवाइडर और ग्राहकों के बीच कनेक्शन की सुविधा के लिए GST का भुगतान करने से छूट दी गई थी.
हालांकि, सेंट्रल GST रेगुलेशन ये बताते हैं कि मोबिलिटी ऑपरेटरों सहित ई-कॉमर्स ऑपरेटर, अपने प्लेटफार्मों के माध्यम से दी जाने वाली कुछ सेवाओं पर GST के लिए जिम्मेदार हैं. AAR ने कहा कि मोबिलिटी ऑपरेटर केवल ड्राइवरों और यात्रियों को जोड़ते हैं, जिसे सर्विस नहीं कहा जा सकता है. फिर भी, ऑप्टा कैब्स (Opta Cabs) मामले में, AAR ने एक विरोधी फैसला दिया, जिसमें उन्हें टैक्स देने के लिए लायबल माना गया.
AKM ग्लोबल के संदीप सहगल ने कहा, कर्नाटक हाई कोर्ट के हस्तक्षेप से GST लगाने की गाइडलाइंस पर स्पष्टता मिल सकती है, जिससे प्राइवेट हायर इंडस्ट्री में डिजिटल प्लेटफार्मों के लिए टैक्स सुनिश्चित किया जा सकेगा. ये स्टैंडर्ड टैक्स फ्रेमवर्क कंप्लायंस की दिक्कतों को कम करेगा और ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से संचालित होने वाले इंडस्ट्री में स्थिरता देगा.
अदालत ने निर्देश दिया है कि मामले को रैपिडो की लंबित रिट याचिका के साथ टैग किया जाए और 12 नवंबर को सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाए.