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बाजार की रफ्तार आगे भी रह सकती है जारी: नीलेश शाह

नीलेश शाह के मुताबिक, भारत का वैल्यूएशन अभी तक के उच्चतम स्तर पर नहीं है. लार्ज-कैप कंपनियों का वैल्यूएशन अभी भी ठीक है, जबकि स्माल और मीडियम-कैप कंपनियों का वैल्यूएशन थोड़ा ज्यादा है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी05:08 PM IST, 30 Aug 2024NDTV Profit हिंदी
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भारतीय बाजार की रफ्तार आगे भी जारी रह सकती है, क्योंकि वैल्युएशन अभी पीक पर नहीं है. ये बात कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी के MD नीलेश शाह ने NDTV प्रॉफिट के साथ इंटरव्यू में कही है. बेंचमार्क शेयर इंडिसेस नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं. शुक्रवार को निफ्टी 50 ने नए ऊंचे मुकाम को हासिल किया.

नीलेश शाह के मुताबिक, भारत का वैल्यूएशन अभी तक के उच्चतम स्तर पर नहीं है. लार्ज-कैप कंपनियों का वैल्यूएशन अभी भी ठीक है, जबकि स्माल और मीडियम-कैप कंपनियों का वैल्युएशन थोड़ा ज्यादा है. हालांकि, कुछ कम-फ्लोटिंग वाले शेयर महंगे भी हैं. भारतीय बाजारों में 25% बबल है और 75% लंबी अवधि के निवेशकों के लिए मौका देते हैं.

कॉरपोरेट अर्निंग ग्रोथ बुनियादी बातों को बताती है. उन्होंने कहा कि 2020 और 2024 के बीच भारतीय कंपनियों की आय 4 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 16 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो बाजार में उछाल के मुताबिक है, क्योंकि शेयर अर्निंग के गुलाम हैं. नीलेश शाह से जब पूछा गया कि क्या अर्निंग और वैल्युएशन का ये स्तर पांच या 10 साल की अवधि में कायम रह सकते हैं? शाह का मानना ​​है कि ऐसा हो सकता है.

नीलेश शाह ने कहा कि निवेशक वैल्यूएशन को देखते हैं, जरूरी नहीं कि इंडिसेस को देखें. उन्होंने बताया कि 2005 से 2024 के बीच, ब्रॉडर मार्केट ने 13% या उससे अधिक रिटर्न दिया, जो बहुत असामान्य नंबर नहीं है. इसकी तुलना में, पिछले पांच वर्षों में रिटर्न लगभग 21% था. इससे पहले, बाजार ने 11 वर्षों में 11% रिटर्न दिया था.

उन्होंने कहा कि निवेशकों को मार्केट से अपनी उम्मीदें कम करनी चाहिए और क्वांटिटी की तुलना में क्वालिटी को महत्व देना चाहिए, उन्होंने मार्केट डिस्कवर्ड प्राइस पर हाई फ्लोटिंग स्टॉक का सुझाव दिया.

उन्होंने कहा कि घरेलू निवेशक बाजार में पैसा लगा रहे हैं, जैसा कि हाल के IPO में देखा गया है उन्होंने कहा कि अगर कोई पूछे कि क्या ऐसी कंपनियां उस वैल्यूएशन और पैसे की हकदार हैं? इसका जवाब स्पष्ट रूप से नहीं है.

प्रोमोटर्स बेच रहे हैं हिस्सेदारी

नीलेश शाह ने ऐसी कंपनी के बारे में दोगुना रिसर्च करने की सलाह दी, जिसके प्रोमोटर्स हिस्सेदारी बेच रहे हैं, क्योंकि उनके पास कंपनी के बारे में जानकारी होती है. आज भले ही प्रोमोटर्स की शेयर बिक्री कई वर्षों के उच्चतम स्तर पर है, फिर भी वे अपने फंड का इस्तेमाल निजी उद्देश्यों जैसे एक्सटेंडेड फैमिलीज की फंडिंग या बिजनेस ट्रांसिशन्स के लिए करते हैं. हालांकि अलग-अलग स्टॉक और एसेट क्लास में इसीलिए पैसा वापस आ जाता है. इसके साथ हर प्रोमोटर्स की शेयर बिक्री का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जाना चाहिए.

'वर्तमान स्थिति निजी बैंकों के लिए अनुकूल नहीं है'

निजी बैंकों में निकट भविष्य में निवेशकों की डिमांड के मुताबिक वैल्यूएशन देने की क्षमता है. हालांकि, मौजूदा गति निजी बैंकों के खिलाफ है. शाह ने कहा कि बैंकों की नेट इंटरेस्ट मार्जिन में कमी आ रही है और कॉस्ट ऑफ डिपॉजिट्स बढ़ रही है, जिसका लाभ वे निवेशकों को नहीं दे पा रहे हैं.

लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो पर एक कंसल्टेशन पेपर है, जिसके लागू होने पर निश्चित रूप से निजी बैंकों की प्रोफिटेबिलिटी को नुकसान पहुंचेगा क्योंकि वे लिक्विडिटी कवरेज के लिए पैसा लगाएंगे. एक बार जब इसका क्रियान्वयन हो जाएगा और इसका असर शेयरों पर दिखने लगेगा, तो निजी बैंकों के लिए तेजी का अवसर होगा.

'IT कंपनियों के वैल्यूएशन लिए AI को अपनाना जरूरी'

शाह का मानना ​​है कि वे इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनियां जो खुद को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स से लैस कर रही हैं और बेहतर, तेज और सस्ते सॉलूशन्स बना रही हैं. उनके बेहतर प्रदर्शन की संभावना है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और जनरेटिव AI सॉफ्टवेयर को कमोडिटी में बदल रहे हैं. AI के निर्माण के साथ ही हार्डवेयर सेगमेंट में इंटरनेट ऑफ थिंग्स के साथ अवसर खुल रहे हैं. मार्केट पार्टिसिपेंट्स को ये देखने की जरुरत है कि कौन सी कंपनी बदलाव करने में सक्षम है. वे इसमें जीत जाएंगे.

कोटक महिंद्रा AMC गोल्ड पर बुलिश है

कोटक महिंद्रा AMC मार्च 2020 से ही सोने में निवेश करने की वकालत कर रही है. पहले आंशिक रूप से ये महामारी के दौरान सुधार से प्रेरित था. उसके बाद पश्चिमी देशों द्वारा रूसी फॉरेन एक्सचेंज एसेट्स को फ्रीज किए जाने से मार्केट पार्टिसिपेंट्स को सोने पर और भी अधिक भरोसा करने के लिए प्रभावित किया है.

एसेट मैनेजमेंट कंपनी का मानना ​​है कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक सोने में निवेश करने जा रहे हैं. इसके अलावा, जब फेडरल रिजर्व दरों में कटौती करना शुरू करेगा, तो कमोडिटी को एक और बढ़ावा मिलेगा. 2024 के बजट में सोने पर इम्पोर्ट ड्यूटी कम हो गई है इसलिए कोटक महिंद्रा AMC सोने की खरीद की वकालत कर रही है.

भारतीय आमतौर पर दिवाली और धनतेरस जैसे त्योहारों के दौरान कम मात्रा में सोना खरीदते हैं. कभी-कभी, महिलाएं ज्वेलरी में मंथली आधार पर निवेश करती हैं जिनकी लोन पाने की विश्वसनीय नहीं होती है. शाह ने कहा कि वे गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड या म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर विचार कर सकती हैं.

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