रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) मंगलवार या बुधवार यानी 7 या 8 फरवरी को मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश कर सकता है. जहां एक और माना जा रहा है कि आरबीआई ब्याज दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रखेगा, वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है. यदि बैंक ने यह कटौती की तो लोन लेने का प्लान कर रहे लोगों के लिए यह खुशखबरी साबित हो सकती है क्योंकि जब आरबीआई ब्याज दरों में कटौती करेगा तब बैंक भी ब्याज दरों में शनै: शनै: कटौती करने पर मजबूर होंगे जिसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा. यदि ब्याज दरों में कटौती होती है तो मौजूदा कर्जदाता की लोन की किस्तें (EMI) कम हो जाएंगी.
विशेषज्ञों का एक धड़ा मानता है कि नोटबंदी के बाद बैंकों के पास भारी मात्रा में नकदी पहुंच चुकी है और वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका है और ऐसे में रिजर्व बैंक ब्याज दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रख सकता है. मगर वहीं, जनवरी में सेवा क्षेत्र में लगातार तीसरे महीने गिरावट आई है और ऐसे कारकों के चलते उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति में नरम रख पर कायम रहेगा. सरकार ने पिछले साल नवंबर में 500 और 1,000 के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी जिसके बाद बैंकों के पास भारी राशि जमा हुई है. इसकी वजह से पिछले महीने ब्याज दरों में एक प्रतिशत तक की गिरावट आई है. (यह भी पढ़ें- एयरटेल पेमेंट बैंक : फोन नंबर ही आपका अकाउंट नंबर, 7.25% ब्याज भी मिलेगा- 5 खास बातें)
बैंक और उद्योग नीतिगत दरों यानी रेपो दर में कटौती की मांग कर रहे हैं, लेकिन समझा जाता है कि रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति आठ फरवरी को सतर्क रुख अपनाएगी. मुख्य रूप से कच्चे तेल की कीमतों में तेजी तथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संरक्षणवादी रख की वजह से ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश काफी कम है. ब्रेंट क्रूड जहां चढ़कर 56.8 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है वहीं ट्रंप ने कई संरक्षणवादी उपायों की घोषणा की है जिसका असर भारत सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दिखाई देगा. (यह भी पढ़ें- अच्छा सिबिल स्कोर आपको कम ब्याज दर पर दिलाएगा होम लोन)
एसोचैम (ASSOCHAM) ने रविवार को कहा कि रिजर्व बैंक को कर्ज की वृद्धि सुस्त रहने और कमजोर मांग के बीच ब्याज दरों में 0.5 से 0.75 प्रतिशत की कटौती करनी चाहिए. साथ ही बैंकों से इसका लाभ ग्राहकों को स्थानांतरित करने को भी कहा जाए क्योंकि नोटबंदी की वजह से उन्हें ‘अप्रत्याशित लाभ’ हुआ है. एसोचैम ने कहा कि उद्योग ब्याज दरों में 0.50 से 0.75 प्रतिशत कटौती की उम्मीद कर रहा है और बैंकों को इसका पूरा लाभ उपभोक्ताओं को स्थानांतरित करना चाहिए. उद्योग मंडल ने कहा कि नोटबंदी की वजह से बैंकों को चालू खाते-बचत खाते (CASA) में सस्ते कोष के रूप में अप्रत्याशित लाभ हुआ है. कासा की दर सिर्फ तीन से चार प्रतिशत है और कर्ज की आधार दर करीब दो अंकीय है. ऐसे में बैंक निचली दरों का लाभ ग्राहकों को स्थानांतरित कर सकते हैं.
(न्यूज एजेंसियों से भी इनपुट)