भारत में फेस्टिव सीजन में जमकर खरीदारी होती है. ये वक्त दुकानदारों और मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए भी ज्यादा मेहनत का होता है. आखिर यही तो वो वक्त होता है, जब ग्राहक सबसे ज्यादा जेब ढीली करता है.
लोकल सर्कल्स की फेस्टिवल स्पेंडिंग सर्वे के मुताबिक 2024 के फेस्टिव सीजन में भारतीय शहरों के लोग 22 बिलियन डॉलर (1.85 लाख करोड़ रुपये) खर्च करेंगे. सर्वे में लोकल सर्कल्स ने शहरी भारतीय किन चीजों पर खर्च करेंगे, इसका भी एनालिसिस किया है. इस सर्वे के लिए भारत के 342 जिलों से 49,000 प्रतिक्रियाओं को शामिल किया गया है.
हाल के सालों में त्योहारी खरीदारी के लिए ऑनलाइन भी लोगों का रुझान बढ़ा है. सर्वे के मुताबिक इस फेस्टिव सीजन में करीब 13% अर्बन हाउसहोल्ड शॉपिंग के लिए प्राथमिक तौर पर ई-कॉमर्स का उपयोग करेंगे. जबकि 70% लोग लोकल/रिटेल स्टोर्स से खरीदारी करना पसंद करेंगे.
सर्वे के मुताबिक इस फेस्टिव सीजन में पूजा सामग्री और त्योहारी किराना पर सबसे ज्यादा लोग खर्च कर रहे हैं. पूजा सामग्री पर सर्वे में शामिल 70% लोग खर्च करेंगे, जबकि 64% लोगों ने त्योहारी किराना/ग्रोसरी पर भी खर्च की बात कही है. मतलब हर 10 में से करीब 7 लोग पूजा सामग्री और ग्रोसरी पर खर्च करेंगे ही.
करीब 40% लोग घर की साज सज्जा पर भी खर्च करेंगे.
38% लोगों की योजना ब्यूटी और फैशन प्रोडक्ट्स पर खर्च की है.
22% लोग गैजेट्स पर खर्च करेंगे, जबकि 18% व्हाइटगुड्स (AC, कूलर, फ्रिज आदि) को खरीदने में पैसा लगाएंगे.
इस त्योहारी सीजन में हर 2 में से 1 व्यक्ति, मतलब 50% लोग 10,000 रुपये से ज्यादा खर्च करने को तैयार हैं.
सर्वे में लोगों से पूछा गया कि वे कितना अमाउंट तक खर्च करेंगे. ये खर्च उनकी रेगुलर स्पेंडिंग से अलग है. जवाब में 26% लोगों ने कहा कि उन्होंने त्योहार पर अलग से कुछ खर्च करने की योजना नहीं बनाई है.
जबकि 4% लोगों 1,00,000 रुपये से ज्यादा और 4% लोग 50,000 से 1,00,000 रुपये के बीच खर्च करने को तैयार हैं.
वहीं 18% लोगों का बजट 20,000 से 50,000 रुपये के बीच है. जबकि सबसे ज्यादा 26% लोगों ने फेस्टिव सीजन पर 10,000-20,000 रुपये के बीच का खर्च करने की प्लानिंग की है.
14% लोग 5,000-10,000 रुपये के बीच खर्च करेंगे. जबकि 8% लोगों का बजट अधिकतम 2,000 रुपये तक का है.
जैसा ऊपर बताया इस सर्वे के लिए 342 जिलों से 49,000 प्रतिक्रियाएं मंगवाई गईं थीं. जवाब देने वालों में 61% पुरुष थे, जबकि 39% महिलाएं थीं.
सर्वे में शामिल 44% लोग टियर-1 शहरों से थे. जबकि 34% टीयर-2 और 22% लोग टीयर-3, टीयर-4 और टीयर-5 डिस्ट्रिक्ट्स से थे.