ADVERTISEMENT

LocalCircles Survey: 25% कंज्यूमर्स को विज्ञापनों पर भरोसा नहीं; 73% लोगों ने कहा- ASCI भ्रामक ऐड पर रोक लगाने में नाकाम

Localcircles सर्वे के मुताबिक 53% लोगों का विज्ञापनों पर भरोसा बेहद कम है. जबकि 84% ने बीते एक साल में ऐसे विज्ञापन देखे हैं, जहां किसी मशहूर हस्ती द्वारा किया गया विज्ञापन बाद में भ्रामक साबित हुआ.
NDTV Profit हिंदीसेसा सेन
NDTV Profit हिंदी08:34 PM IST, 12 Aug 2024NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

बड़ी संख्या में लोग चाहते हैं कि विज्ञापन रेगुलेशन का काम ASCI से हटाकर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) को दे देना चाहिए. लोकलसर्किल्स के एक सर्वे के मुताबिक 73% लोग इस बदलाव के पक्ष में हैं. दरअसल इन लोगों का मानना है कि ASCI उन्हें भ्रामक जानकारियों और विज्ञापनों से बचाने में नाकामयाब रही है.

हालांकि 11% लोगों का मानना है कि ASCI ठीक काम कर रहा है और विज्ञापन रेगुलेशन का काम संस्था के पास बना रहना चाहिए. इस सर्वे में 312 जिलों से मिली 37,000 प्रतिक्रियाओं को शामिल किया गया है.

25% लोग नहीं करते विज्ञापनों पर भरोसा

सर्वे के मुताबिक:

  • 25% लोगों को विज्ञापनों पर भरोसा ही नहीं है. 53% लोगों का विज्ञापनों पर भरोसा बेहद कम है.

  • 84% लोगों ने कहा कि पिछले 12 महीनों में उन्हें कुछ ऐसे विज्ञापन देखने को मिले जिनका सेलिब्रिटीज ने समर्थन किया था, लेकिन बाद में ये उन्हें गुमराह करने वाले लगे.

  • इनमें से 52% को गुमराह करने वाले कई विज्ञापन मिले. जबकि 32% को कुछ ही विज्ञापन ऐसे मिले.

सरकार भ्रामक विज्ञापनों से निपटने के लिए मजबूत प्रणाली बना रहीं

ये सर्वे ऐसे समय में आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को फटकार लगाई थी. इसके बाद सरकार भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ लोगों की शिकायतों से निपटने के लिए एक यूनिफाइड सिस्टम लाने की योजना बना रही है.

हाल में सुप्रीम कोर्ट ने सभी कंपनियों को किसी विज्ञापन को चलाने से पहले एक सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म भरना अनिवार्य कर किया है. इंफ्लूएंसर्स और मशहूर हस्तियों से भी जिम्मेदारी के साथ विज्ञापन करने के लिए कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला कोविड महामारी के दौरान भ्रामक विज्ञापन चलाए जाने के बाद लिया था. इन विज्ञापनों में इम्युनिटी बढ़ाने या लोगों को कोविड-19 से बचाव के भ्रामक दावे कई ब्रैंड्स ने किए थे.

बता दें बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की कंपनी पतंजलि (Patanjali) आयुर्वेद को अदालत से फटकार लगाई गई थी, क्योंकि भ्रामक विज्ञापनों से उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन हुआ था.

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT