मार्केट रेगुलेटर SEBI ने SME IPO ड्यू डिलिजेंस को लेकर 12 से अधिक घरेलू मर्चेंट बैंकरों की जांच शुरू कर दी है. इस मामले से परिचित लोगों ने ये जानकारी दी है.
मेनबोर्ड लिस्टिंग के मुकाबले SME IPO के नियम अपेक्षाकृत कुछ ढीले हैं. SEBI अब ये पता लगा रहा है कि क्या इन नियमों को और कड़ा किया जा सकता है. संभावित रूप से कंप्लायंस सुनिश्चित करने के लिए अधिक डिस्क्लोजर, ऑडिट और अन्य जांच की आवश्यकता होगी. सूत्रों ने ये जानकारी मंगलवार को NDTV प्रॉफिट को दी है.
SEBI ने SME IPOs में की गई जांच की गुणवत्ता पर चिंता जताई है. अब SEBI जांच कर रही है कि ये ड्यू डिलिजेंस नियमों के मुताबिक हुए हैं या नहीं.
SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के पहले के बयानों से भी इसके संकेत मिलते हैं. बुच ने मार्च में ही SME सेगमेंट में हेरफेर के बारे में चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि ऐसे में यहां बेवजह की तेजी और उत्साह देखा जा रहा है.
उन्होंने कहा था कि हमने प्राइस में हेराफेरी समेत कुछ पैटर्न देखे हैं. बाजार से हमें ऐसे मामलों की पहचान कर इनसे निपटने के सुझाव मिले हैं. हम अब भी सलाहकारों के साथ इस डेटा को समझने और इसके विश्लेषण पर काम कर रहे हैं. ये हेराफेरी IPO और आगे के स्तर पर हो सकती है. रिस्क फैक्टर से जुड़े कुछ और डिस्क्लोजर जरूरी हैं.
माधबी ने निवेशकों से इस उच्च जोखिम वाले क्षेत्र में निवेश करते समय सावधानी बरतने का आग्रह किया था. जबकि हाल के महीनों में SME कंपनियों में वैल्यूएशन में उछाल आया है.
इस मामले में SEBI के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया ने हाल ही में SME लिस्टिंग प्रक्रिया पर आगामी परामर्श पत्र पर चर्चा की. फाइनेंसिंग 3.0 समिट में बोलते हुए भाटिया ने संकेत दिया कि ये पेपर एक्सचेंजों, मर्चेंट बैंकरों और SME लिस्टिंग में शामिल अन्य संस्थाओं को प्रभावित करने वाले रेगुलेटरी एडजस्टमेंट का प्रस्ताव करेगा. उन्होंने कहा था कि रेगुलेटर का लक्ष्य निवेशकों के हितों को ध्यान में रखते हुए लिस्टिंग प्रक्रिया को और अधिक मजबूत बनाना है.