बाल श्रम (Child Labour) का आरोप झेल रही सोम डिस्टिलरीज प्राइवेट लिमिटेड का लाइसेंस मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) ने निलंबित कर दिया है. प्रदेश के रायसेन जिले में एक शराब फैक्ट्री से 20 लड़कियों समेत 50 से ज्यादा बच्चों को छुड़ाए जाने के बाद और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की सख्ती के बाद राज्य सरकार ने कड़ा कदम उठाया.
सोम डिस्टिलरीज ने सोमवार को चाइल्ड लेबर के सीधे आरोपों से किनारा करते हुए इस मामले में अपनी सहयोगी कंपनी के ठेकेदारों को दोषी ठहराया. देशी शराब का कारोबार करने वाली सहयोगी फर्म कथित तौर पर अपने श्रमिकों की उम्र का सही तरीके से सत्यापन करने में फेल साबित हुई है. कंपनी ने वेंडर की सेवाओं को समाप्त कर दिया है. पुलिस इस मामले में जांच कर रही है.
रविवार को NCPCR की खोज के बाद किशोर न्याय और बंधुआ मजदूरी कानूनों (Juvenile Justice and Bonded Labour Laws) के तहत मामला दर्ज किया गया. इस मामले के बाद कंपनी के शेयरों में काफी गिरावट देखने को मिली है. आज भी ये शेयर 5% से ज्यादा टूटा है.
बाल अधिकार निकाय सोम डिस्टिलरीज में बाल श्रम के आरोपों के संबंध में मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करेगा. NCPCR के चेयरपर्सन प्रियांक कानूनगो ने NDTV प्रॉफिट को बताया कि मध्य प्रदेश सरकार ने अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से पूरा नहीं किया. हालांकि घटना संज्ञान में आने के बाद MP के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इसे एक गंभीर मामला बताया और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं.
सोम डिस्टिलरीज शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनी है और हंटर और वुडपेकर ब्रांड से बियर बनाती है. SDPL की बॉटलिंग कैपिसिटी 70 लाख/वर्ष से ज्यादा है. ये सोम ग्रुप की कंपनियों का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत सोम डिस्टिलरीज एंड ब्रुअरीज लिमिटेड भी आती है, जो एक लिस्टेड फर्म है.
कंपनी ने एक्सचेंज को जारी अपनी सफाई में खुद का पाक-साफ बताया है. उसने कहा कि ये माामला सोम डिस्टिलरीज और ब्रुअरीज से संबंधित नहीं हैं, बल्कि उसकी सहयोगी कंपनी से संबंधित हैं, जो मुख्य रूप से देशी शराब बनाती है. ये एक अलग प्रबंधन के तहत चलती है.
साथ ही कंपनी ने कहा कि इस सहयोगी कंपनी के लिए मजदूरों के लिए वेंडर रखे गए हैं. ये गलती उन वेंडर्स की है, जिन्होंने मजदूरों की उम्र की जांच नहीं कराई. कंपनी ने इस जांच में पूरी तरह सहयोग करने का आश्वासन दिया है.