महाराष्ट्र के पुणे शहर के पास स्थित पश्चिमी घाट की खूबसूरत वादियों के बीच बना प्राइवेट हिल स्टेशन लवासा (Lavasa) बिक गया है. दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू होने के करीब 5 साल बाद, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने इसकी मंजूरी दे दी है.
पुणे की डार्विन प्लेटफॉर्म इंफ्रास्ट्रक्चर ने इसे 1,814 करोड़ रुपये में खरीदा है. NCLT ने 25 पेज का आदेश पारित कर 1,814 करोड़ रुपये के निवेश की समाधान योजना को मंजूरी दी.
बता दें कि अगस्त 2018 में, NCLT ने इंसॉल्वेंसी और बैंकरप्ट्सी कोड (IBC) के तहत दिवाला समाधान प्रक्रिया के लिए कर्ज में डूबी HCC की रियल एस्टेट कंपनी लवासा कॉरपोरेशन के कर्जदाताओं की याचिका स्वीकार की थी.
आदेश के अनुसार, 'इस राशि में 1,466.50 करोड़ रुपये की समाधान योजना राशि शामिल है, जिसका भुगतान कॉरपोरेट कर्जदार यानी लवासा को किस्तों में मिले फंड में से किया जाएगा.'
लवासा के टॉप कर्जदाताओं में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, L&T फाइनेंस, आर्सिल, बैंक ऑफ इंडिया और एक्सिस बैंक शामिल हैं.
डार्विन प्लेटफॉर्म इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (DPIL) मुख्य रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन कंपनी है. ये डार्विन प्लेटफॉर्म ग्रुप का एक हिस्सा है और इसकी बुनियाद 2010 में रखी गई थी.
DPIL कई सर्विसेज से जुड़ा हुआ है, जिनमें इंफ्रास्ट्रक्चर, रिफाइनरीज, रिटेल और हॉस्पिटैलिटी जैसे सेक्टर शामिल हैं.
लावासा को खरीदने वाले डार्विन समूह ने इससे पहले जेट एयरवेज और रिलायंस कैपिटल के लिए बोली प्रक्रिया में भी रुचि दिखाई थी.
डार्विन के प्रोमोटर अजय सिंह ने एक बयान में कहा, 'NCLT ने हमें देश में एक महत्वाकांक्षी विश्वस्तरीय स्मार्ट सिटी विकसित करने का चुनौतीपूर्ण काम सौंपा है. ये फैसला राष्ट्र निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता मजबूत करेगा. लवासा अब पुनरुत्थान के शिखर पर है. हम इस महत्वाकांक्षी परियोजना को पुनर्जीवित करने के लिए बहुत उत्सुक हैं.'
घर खरीदारों को आश्वासन देते हुए उन्होंने कहा, 'सिक्योर्ड फाइनेंशियल क्रेडिटर्स की चिंताओं के साथ-साथ घर खरीदारों की दुर्दशा पर भी DPIL का ध्यान जाएगा. कंपनी वादा करती है कि रिवाइवल प्रोसेस में स्टेकहोल्डर्स को शामिल करने और उनकी जरूरतों को प्राथमिकता दी जाएगी.'