मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (Mazagon Dock Shipbuilders Ltd.) अगले कुछ वर्षों में इंडस्ट्री में आने वाले बड़े ऑर्डर इनफ्लो को समायोजित करने की तैयारी में है. मुंबई बेस्ड शिपबिल्डर कंपनी के प्रेसिडेंट और MD संजीव सिंघल ने NDTV Profit को बताया कि शिपबिल्डिंग सेक्टर को अगले दो वर्षों में 2 लाख करोड़ रुपये के ऑर्डर-बुक की उम्मीद है. ये ऑर्डर्स 3 शिपबिल्डर्स के बीच बंटेंगे.
उन्होंने कहा कि ऑर्डर पाइपलाइन में 3 स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बियां, 6 प्रोजेक्ट-75I सबमरीन्स, 8 प्रोजेक्ट-17 ब्रावो क्लास फ्रिगेट शामिल होने की उम्मीद है. साथ ही आने वाले वर्षों में नेक्स्ट जेनरेशन कोरवेट और डेस्ट्रॉयर्स मिलने की उम्मीद है.
संजीव सिंघल ने कहा, 'हालांकि ये ऑर्डर्स सिंगल शिपयार्ड के रिसीव करने लायक है, लेकिन कुछ ऑर्डर दो शिपयार्ड के बीच बांटे जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि MDL अपनी संभावनाओं के बारे में स्वाभाविक रूप से आश्वस्त है.
सिंघल ने कहा, 'MDL एक नई फैसिलिटी में 4,000 करोड़ रुपये से 5,000 करोड़ रुपये के बीच निवेश कर रहा है. ये कदम 2027 से आगे भी निरंतर ग्रोथ और साथ ही डिमांड में भरोसे का संकेत है. इस विस्तार का उद्देश्य मौजूदा सेटअप की तुलना में 1.5 से 2 गुना अधिक जहाजों और पनडुब्बियों का निर्माण करना है. साथ ही ऑर्डर्स समायोजित करने की क्षमता को बढ़ाना है.'
सिंघल ने कहा कि अगर कंपनी भविष्य की संभावनाओं के बारे में आशावादी नहीं हो तो भी, मझगांव डॉक का मौजूदा इंफ्रास्टक्चर, जो एक साथ 11 सबमरीन्स और 10 शिप्स को हैंडल कर सकता है, वो पर्याप्त होगा. नई जगह में पर्याप्त निवेश ये दिखाता है कि कंपनी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय, दोनों जरूरतों को पूरा करने के लिए ऑपरेशंस को बढ़ाने को लेकर कितनी प्रतिबद्ध है.
डेनमार्क से 6 शिप्स के लिए हाल ही में मिले ऑर्डर के साथ MDL, एक्सपोर्ट मार्केट में भी प्रवेश कर रहा है. सिंघल ने कहा, 'ये कदम पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन की अपनी स्ट्रैटेजी के अनुरूप है, जिसमें नई मैन्युफैक्चरिंग पर प्राथमिकता के साथ-साथ मेंटेनेंस और रिपेयर सर्विसेज को शामिल किया गया है. इस डायवर्सिफिकेशन के बावजूद, रीफिट और रिपेयर से आय न्यूनतम रहेगी, इन सेक्टर्स से अनुमानित योगदान 10% से भी कम रहेगा.'
सिंघल ने कहा, 'हालांकि, सबमरीन्स का लंबा लाइफ-साइकल (आम तौर पर लगभग 30 साल, रीफिट के बाद अतिरिक्त 10-12 साल) ये सुनिश्चित करता है कि कंपनी को चल रहे मेंटेनेंस और रीफिट कॉन्ट्रैक्ट्स से काफी फायदा होगा.'
फाइनेंशियल हेल्थ के मोर्चे पर बात करें तो सिंघल ने डेट-फ्री कंपनी के रूप में MDL की मजबूत स्थिति पर जोर दिया, जो उन्हें महत्वपूर्ण देनदारियों के बोझ से मुक्त रखता है और ग्रोथ के लिए भारी निवेश करने की अनुमति देता है.
कंपनी का 'कॉस्ट मैनेजमेंट' एक प्राथमिकता बनी हुई है, जिसमें खर्चों को ऑप्टिमाइज करने और एक स्थिर कॉस्ट स्ट्रक्चर बनाए रखने के लिए प्रयास जारी है. सिंघल का कहना है कि 10% से अधिक मार्जिन हासिल करना शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री के लिए स्वस्थ माना जाएगा.