ब्लूस्मार्ट (BluSmart) में अब इस्तीफे की मांग सिर्फ प्रेसिडेंट अनमोल सिंह जग्गी (Anmol Singh Jaggi) से ही नहीं बल्कि पूरे बोर्ड से की जा रही है. इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने NDTV प्रॉफिट को बताया कि EV राइड हेलिंग बिजनेस के अधिकांश एंजल निवेशक और इक्विटी फंड्स बोर्ड में पूर्ण बदलाव की मांग कर रहे हैं, क्योंकि नकदी की कमी की आशंका बढ़ गई है.
सूत्रों ने बताया है कि बोर्ड में जग्गी, BP वेंचर्स की प्रतिनिधि सोफिया नादुर, निवेशक निदेशक सुनील सिंघवी और इंडिपेंडेंट निदेशक इंद्रप्रीत वाधवा और रूपा देवी सिंह शामिल हैं. कंपनी अपने लिए नई पूंजी जुटाने में विफल रही है.
नाम न बताने की शर्त पर एक व्यक्ति ने बताया कि पहले, मांग केवल जग्गी के इस्तीफे की थी, क्योंकि स्टार्टअप को बचाने के लिए किसी भी तरह के सौदे के लिए यही शर्त थी. लेकिन अब, जैसे-जैसे गतिरोध बढ़ता जा रहा है, अधिक से अधिक निवेशक कंपनी को संभालने के लिए एक नए बोर्ड की मांग कर रहे हैं.
जग्गी, नादुर और वाधवा कंपनी की ऑडिट कमेटी का हिस्सा थे और कई निवेशकों ने सवाल उठाए कि वे जग्गी के फंड डायवर्जन को कैसे नहीं पकड़ पाए. जिसमें ब्लूस्मार्ट को वाहन पट्टे पर देने के लिए रखे गए पैसे को राउंड-ट्रिपिंग करना शामिल था. नए बोर्ड में अभी भी BP वेंचर्स का एक प्रतिनिधि शामिल करना होगा, क्योंकि ये कंपनी में 13% हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ा शेयर होल्डर है.
NDTV प्रॉफिट ने इस कहानी पर टिप्पणी के लिए ब्लूस्मार्ट और को-फाउंडर पुनीत गोयल से संपर्क किया है.
मार्केट रेगुलेटर SEBI ने 15 अप्रैल को जेनसोल और जग्गी बंधुओं के खिलाफ अंतरिम आदेश जारी किया. SEBI ने आरोप लगाया कि भाइयों ने कंपनी के खातों से पैसे निजी तिजोरियों में ट्रांसफर किए, जिससे उनकी जीवनशैली में फिजूलखर्ची हुई.
आदेश ने उन्हें सिक्योरिटीज मार्केट तक पहुंचने से प्रतिबंधित कर दिया और जेनसोल के प्रस्तावित स्टॉक विभाजन को रोक दिया. SEBI ने कंपनी के बहीखातों की समीक्षा के लिए एक फोरेंसिक ऑडिटर की नियुक्ति का भी निर्देश दिया.
रेगुलेटर ने इलेक्ट्रिक वाहन खरीद के लिए स्वीकृत टर्म लोन के बड़े पैमाने पर डायवर्जन और दस्तावेजों के जालसाजी के उदाहरणों को रेखांकित किया.
जग्गी द्वारा सह-स्थापित ब्लूस्मार्ट भारत की पहली और सबसे बड़ी जीरो कार्बन उत्सर्जन राइड-हेलिंग सर्विस होने का दावा करती है.
कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, ऐप के 30 लाख से अधिक डाउनलोड हैं और प्लेटफॉर्म ने 1.45 करोड़ से अधिक राइड की पेशकश की है. मार्च के अंत तक ये पहले से ही मुश्किल में था, जब रेफेक्स इंडस्ट्रीज की ग्रीन मोबिलिटी यूनिट ने जेनसोल से 315 करोड़ रुपये वैल्यू के 2,997 इलेक्ट्रिक वाहनों को लेने का प्रस्ताव वापस ले लिया था. बदले में, इन वाहनों को ब्लूस्मार्ट को पट्टे पर दिया जाना था.
ब्लूस्मार्ट कभी भी जेनसोल की सहायक कंपनी नहीं थी, बल्कि केवल एक संबंधित पक्ष थी.
लेकिन जेनसोल में ब्लूस्मार्ट के पास एक EV लीजिंग पार्टनर था जो एक करीबी सहयोगी था. इसका मतलब है कि ब्लूस्मार्ट के भविष्य को लेकर संदेह पावर फाइनेंस कॉर्प द्वारा जेनसोल इंजीनियरिंग के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों को लेकर की गई शिकायत से और बढ़ सकता है.
EoW को PFC की शिकायत जेनसोल के खिलाफ पहली कार्यकारी-स्तरीय कार्रवाई है, जबकि फर्म के खिलाफ रेगुलेटर कार्रवाई की जा रही है.