दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर 10 साल से ज्यादा पुरानी डीजल गाड़ियों पर एनजीटी की रोक के बाद अब कारों के सेकेंड हैंड बाजार की नींद उड़ी हुई है। उम्र पूरा कर चुकी सेकेंड हैंड डीजल गाड़ियों की कीमत 90 फीसदी तक लुढ़क गई है। अब अगर ऐसी कोई बार बिकी भी, तो दिल्ली-एनसीआर के बाहर ही बिकेगी।
सेकेंड हैंड कार का वो बाजार जहां हम या आप कम कीमत की चाह में गाड़ी खरीदने जाते रहे हैं या फिर जरूरत पड़ने पर बेचते हैं, इस कारोबार से जुड़े लोग अब डीजल वाली सेकेंड हैंड गाड़ी खरीदने से बच रहे हैं। फिक्र ये है कि क्या जिन गाड़ियों की उम्र खत्म हो चुकी है उन्हें कहीं और बेचने की एनओसी ट्रांसपोर्ट विभाग देगा या नहीं?
गीता कॉलोनी में पंजाब मोटर्स के नाम से सेकेंड हैंड कार का कारोबार करने वाले रविंद्र पाल सिंह की चिंता है कि जो डीजल वाली गाड़ियां उनके पास हैं, उनमें से दो-तीन की उम्र अभी बाकी है, फिर भी उसका खरीदार मिलेगा या नहीं? उम्मीद ना के बराबर ही दिखती है। साथ में वह सवाल भी उठाते हैं कि जब टैक्स 15 साल का दिया गया हो और परमिट भी 15 साल की हो, तो फिर उस पैसे और परमिट का क्या?
इतना ही नहीं एनजीटी के आदेश के पहले 2005 मॉडल की कारों जो कीमते थीं, अब उसमें दिल्ली और एनसीआर के बाहर 80 फीसदी या उससे ज्यादा की गिरावट आ गई है।
ऐसी 10 साल पुरानी गाड़ियों में हुंडैइ एलेन्ट्रा जो 5 से 6 लाख तक आती थी, अब करीब 70 हजार पर जा पहुंची है।
फोर्ड एन्डेवर 8 लाख से गिरकर 1 लाख पर आ गई है।
मर्सिडिज बेंज एसयूवी 12 लाख से गिरकर 5 लाख की हो गई है।
फिएट पालियो की कीमत 2 लाख से गिरकर करीब 60 हजार हो गई है।
हुंडैइ एसेंट 1.5 लाख से 50 हजार और मारुति स्वीफ्ट 2.5 लाख से खिसककर 75 हजार तक आ गई है।
टोयोटा इनोवा 5.5 लाख से गिरकर अब 1 लाख में मिल रही है।
महिंद्रा स्कॉर्पियो 4-5 लाख की होती थी अब 1 लाख से ज्यादा की नहीं रही।
फोर्ड फिएस्टा 2.25 लाख से घटकर 70 हजार के आसपास हो गई है और
स्कोडा सुपर्ब 3.70 लाख से घटकर 1 लाख से ज्यादा की नहीं रह गई है।
ऑल इंडिया कार डिलर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेएस नेयोल बताते हैं कि दिल्ली-एनसीआर से बाहर कबाड़ से ज्यादा कीमत में वो गाड़ी बिकनी मुमकिन नहीं, जिनकी उम्र खत्म हो चुकी है। नए आदेश के बाद कीमत में 90 फीसदी तक की गिरावट आई है। नेयोल जैसे करोबारी अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं।