जीएसटी को संसद और राज्यों की ज़रूरी मंज़ूरी मिल चुकी है. लेकिन इससे जुड़ी कई पेचीदगियां बाकी हैं. गुरुवार को जीएसटी काउंसिल की पहली बैठक में ये भी तय नहीं हो पाया कि किन कंपनियों और कारोबारियों को जीएसटी में दायरे में रखा जाए.
जीएसटी के दायरे में किसे शामिल किया जाए और किसे नहीं, इस अहम सवाल पर जीएसटी काउंसिल की पहली बैठक में आम राय नहीं बन पायी. दिल्ली और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों ने ज़ोर देकर कहा कि सिर्फ उन्हीं ट्रेडरों को GST के दायरे में शामिल किया जाए जिनका कारोबार 25 लाख से ज़्यादा है.
बैठक के बाद दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, 'मैंने बैठक में ज़ोर दिया कि 25 लाख होनी चाहिये. सीमा को दस लाख करने से दिल्ली के कारोबिरियों को नुकसान होगा.' जबकि उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्रियों ने सीमा दस लाख करने की वकालत की. उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री अभिषेक मिश्रा ने यहां तक कहा कि 25 लाख सीमा तय करने से उनके राज्य को 7 फीसदी तक का राजस्व का नुकसान होगा.
अभिषेक मिश्रा ने कहा कि इस मुद्दे पर अभी और चर्चा की ज़रूरत है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने माना कि राज्यों की राय बंटी हुई है लेकिन उम्मीद जताई की आम सहमति का रास्ता बातचीत से निकलेगा.
जेटली ने कहा, 'दो तरह की राय राज्यों की तरफ से रखी गयी. किसी ने सीमा 25 लाख करने की मांग की तो किसी ने 10 लाख. मुझे उम्मीद है कि बीच का रास्ता निकल जाएगा.' GST के दायरे में किन कारोबारों को शामिल किया जाए और किसे नहीं, इस अहम सवाल पर राज्य अब खुल कर आमने सामने आ गये हैं. इस संवेदनशील मसले पर राज्यों के कड़े तेवरों से साफ है कि वित्त मंत्री के लिए राज्यों में आम राय बनाना आसान नहीं होगा.