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नोएल टाटा क्‍यों एक साथ टाटा ट्रस्‍ट और टाटा संस के चेयरमैन नहीं हो सकते?

वित्त वर्ष 2022 की AGM में रतन टाटा ने आर्टिकल 118 में संशोधन सामने रखा, जो टाटा संस के बोर्ड के चेयरमैन की नियुक्ति को कंट्रोल करता है.
NDTV Profit हिंदीसजीत मंघाट
NDTV Profit हिंदी04:39 PM IST, 17 Oct 2024NDTV Profit हिंदी
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देश के सबसे बड़े कारोबारी घरानों में से एक, टाटा ग्रुप को अभी कुछ ही दिन पहले नोएल टाटा के रूप में नया मुखिया मिला है. करीब 3 दशक से टाटा ग्रुप रतन टाटा की अगुवाई में आगे बढ़ रहा था. मानद चेयरमैन रहे रतन टाटा के निधन के बाद हुई एक अहम मीटिंग में नोएल टाटा को टाटा ट्रस्‍ट का चेयरमैन बनाया गया.

इस तरह टाटा समूह की कमान अब रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा (Noel Tata) के हाथों में है. लेकिन एक मसला ये है कि नोएल टाटा, एक साथ टाटा ट्रस्‍ट (Tata Trust) और टाटा संस (Tata Sons) दोनों में चेयरमैन की कुर्सी नहीं संभाल सकते. वजह जानने के लिए समय का पहिया थोड़ा पीछे घुमाना होगा.

यूं शुरू होती है कहानी

ये कहानी शुरू होती है, साल 2017 से. उस साल साइरस मिस्त्री को टाटा संस के बोर्ड से हटाए जाने के बाद टाटा संस को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में बदल दिया गया था.

साइरस मिस्त्री को हटाए जाने से उपजे सार्वजनिक विवाद ने टाटा ग्रुप की कंपनियों की होल्डिंग कंपनी टाटा संस और उसके मालिकों- दो प्रमुख ट्रस्टों (सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट) के बीच संबंधों और प्रशासनिक मानकों पर सवाल खड़े कर दिए.

रतन टाटा ने बनाया मैकेनिज्म

2022 तक रतन टाटा ने टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन के रूप में, एक गवर्नेंस मैकेनिज्म स्थापित कर दिया था, जिससे टाटा संस के स्वामित्व और संचालन में स्पष्ट सेपरेशन हो गया.

दोनों प्रमुख ट्रस्टों के चेयरमैन के रूप में उन्होंने ये सुनिश्चित किया कि ट्रस्ट के ट्रस्टी की, टाटा संस के 'बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स' यानी निदेशक मंडल के चेयरमैन की नियुक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका हो.

वित्त वर्ष 2022 की AGM में रतन टाटा ने आर्टिकल 118 में संशोधन सामने रखा, जो टाटा संस के बोर्ड के चेयरमैन की नियुक्ति को कंट्रोल करता है.

इसी संशोधन में अटका है पेच

इस संशोधन में कहा गया, 'बशर्ते कि कोई व्यक्ति जो सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट या सर रतन टाटा ट्रस्ट या दोनों का चेयरमैन है, वो एक साथ निदेशक मंडल का चेयरमैन बनने के लिए पात्र नहीं होगा.'

एसोसिएशन के आर्टिकल में ये भी कहा गया कि जब तक टाटा ट्रस्ट्स के पास कंपनी में कम से कम 40% हिस्सेदारी रहेगी, तब तक बोर्ड के चेयरमैन की नियुक्ति के लिए एक चयन समिति गठित की जाएगी.

चयन समिति में सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट की ओर से संयुक्त रूप से नामित तीन सदस्य शामिल होंगे जो टाटा संस के बोर्ड में निदेशक हो भी सकते हैं और नहीं भी.

एक सदस्य, निदेशक मंडल में से और बोर्ड के चुने गए एक स्वतंत्र बाहरी व्यक्ति से नामित किया जाएगा.

...और मसला यहीं खत्‍म नहीं होता!

वर्तमान में विजय सिंह और वेणु श्रीनिवासन टाटा संस के बोर्ड में निदेशक हैं और टाटा ट्रस्ट की कार्यकारी समिति में हैं. रतन टाटा के निधन के बाद हाल ही में नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन बनाया गया.

  • एसोसिएशन के आर्टिकल के अनुसार, चयन समिति का चेयरमैन दोनों ट्रस्टों द्वारा नामित सदस्यों में से होगा.

  • चयन समिति के लिए कोरम टाटा ट्रस्ट के नामित सदस्यों का बहुमत होगा. यानी कम से कम दो नामित सदस्य.

  • इसके अलावा, अब वर्तमान चेयरमैन को हटाने के लिए भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी.

वर्तमान में टाटा संस के बोर्ड के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन हैं. उन्हें 20 फरवरी, 2027 को समाप्त होने वाली 5 वर्ष की अवधि के लिए बोर्ड के कार्यकारी चेयरमैन के रूप में फिर से नियुक्त किया गया था.

बड़ी बात ये भी है कि टाटा संस के चेयरमैन के लिए कोई आयु सीमा नहीं है. रतन टाटा की सक्रियता को देखते हुए और उन्हें चेयरमैन पद पर बनाए रखने के लिए आयु सीमा को 75 वर्ष तक बढ़ा दिया गया था. वे 2012 तक इस पद पर रहे.

वहीं, टाटा संस के बोर्ड से साइरस मिस्त्री को हटाए जाने के बाद और रतन टाटा को अंतरिम चेयरमैन पद देने के लिए साल 2017 में टाटा संस ने बोर्ड के चेयरमैन के लिए आयु सीमा हटा दी थी.

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