यह पहली बार नहीं है जब देश में बड़े नोटों को वापस लिया गया हो और फिर मार्केट में नए सिरे से हजार, पांच हजार और दस हजार के रुपए लाए गए हों. 1946 में में भी हज़ार रुपए और 10 हज़ार रुपए के नोट वापस लिए गए थे. फिर 1954 में हज़ार, पांच हज़ार और दस हज़ार रुपए के नोट वापस लाए गए. उसके बाद जनवरी 1978 में इन्हें फिर बंद कर दिया गया.
बीबीसी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 1978 में 16 जनवरी को एक अध्यादेश जारी कर हज़ार, पांच हज़ार और 10 हज़ार के नोट वापस लेने का फ़ैसला लिया गया था. आरबीआई) के ऐतिहासिक दस्तावेज़ (थर्ड वॉल्यूम) में पूरी प्रक्रिया का ब्यौरा दिया गया है. 14 जनवरी 1978 को रिज़र्व बैंक के चीफ़ अकाउटेंट ऑफ़िस के वरिष्ठ अधिकारी आर जानकी रमन को फ़ोन कर दिल्ली बुलाया गया. रमन दिल्ली पहुंचे तो उनसे एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार बड़े नोट वापस लेने का मन बना चुकी है और इससे संबंधित ज़रूरी अध्यदेश वो एक दिन में बनाएं. इस दौरान रिज़र्व बैंक के मुंबई स्थित केंद्रीय दफ़्तर से किसी भी तरह की बातचीत के लिए सख्त मना किया गया क्योंकि इससे बेवजह की अटकलों के फैलने का डर था. तय समय पर ये अध्यादेश तैयार हो गया और इसे तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया.
16 जनवरी की सुबह नौ बजे आकाशवाणी के बुलेटिन में इन बड़े नोटों के बंद होने की ख़बर का प्रसारण हो गया. अध्यादेश के मुताबिक़ अगले दिन यानी 17 जनवरी को सभी बैंकों के बंद रहने का ऐलान कर दिया गया. जॉइन लोगों के सामने रखते आर्थिक मामलों के सचिव शशि कांत दास (बाएं) और रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल उस वक़्त के रिज़र्व बैंक के गवर्नर आईजी पटेल ने अपनी एक किताब में इस घटना के बारे में विस्तार से बताया है.
पटेल ने लिखा है कि वह सरकार के इस फ़ैसले के पक्ष में नहीं थे. उनके मुताबिक़ जनता पार्टी की सरकार के ही कुछ सदस्य मानते थे कि पिछली सरकार के कथित भ्रष्ट लोगों को निशाना बनाने के लिए ये क़दम उठाया गया है. पटेल ने ये भी लिखा कि जब तत्कालीन वित्त मंत्री एचएम पटेल ने उनसे नोट वापस लेने को कहा तो उन्होंने, वित्त मंत्री को साफ़ कहा था कि इस तरह के फ़ैसलों से मनमाफ़िक परिणाम कम ही मिलते हैं. आईजी पटेल ने लिखा कि काले धन को नक़द के रूप में बहुत कम लोग लंबे समय तक अपने पास रखते हैं. पटेल के मुताबिक़, सूटकेस और तकिए में बड़ी रकम छुपाकर रखने का आइडिया ही बड़ा बचकाना किस्म का है और जिनके पास बड़ी रक़म कैश के तौर पर है भी वो भी अपने एजेंट्स के ज़रिए उन्हें बदलवा लेंगे.