सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) की अवमानना करने के मामले में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड (Patanjali Ayurved Ltd.) के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी है. दरअसल सर्वोच्च अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद को कुछ औषधीय उत्पादों का विज्ञापन करने से रोका हुआ था.
माफीनामे के मुताबिक, विज्ञापनों में केवल जनरल स्टेटमेंट (General Statements) थी. कुछ बातें जिन पर आपत्ति दर्ज हुई है उसको पतंजलि की मीडिया टीम ने गलती से विज्ञापन में जोड़ दिया था क्योंकि उन्हें कोर्ट के आदेश के बारे में जानकारी नहीं थी.
माफीनामे में कहा गया है कि पतंजलि का इरादा केवल ये था कि, वो स्वस्थ जीवन जीने के लिए देश के नागरिकों को अपने उत्पादों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करे. ये उत्पाद आयुर्वेदिक रिसर्च से मिले डेटा को ध्यान में रखते हुए और आयुर्वेदिक ग्रंथों और जड़ी बूटियों के द्वारा बनाए गए हैं.
इसमें ये भी कहा गया कि पतंजलि के पास आयुर्वेद में किए गए क्लीनिकल रिसर्च के साथ साथ, वैज्ञानिक डेटा है. ये डेटा उन बीमारियों के संबंध में वैज्ञानिक रिसर्च में हुई प्रगति को दिखाता है, जो ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) एक्ट की अनुसूची में लिखे गए हैं.
ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट उन दवाइयों के लिए भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाता है जो मोटापा, अस्थमा, मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज के लिए जादुई उपचारों का दावा करता हो.
पिछले साल नवंबर में, शीर्ष अदालत ने आधुनिक चिकित्सा के प्रभावों को कमतर बताने के लिए बाबा रामदेव और उनके बहुराष्ट्रीय समूह को कड़ी चेतावनी दी थी.
कोर्ट ने कहा था कि वो उन सभी भ्रामक विज्ञापनों पर भारी जुर्माना लगाएगी. जिसमें ऊपर दी गई बीमारियों को ठीक करने का वादा किया गया है.
उस समय, पतंजलि ने अदालत से कहा था कि वो इस बात को सुनिश्चित करेगी कि उसके द्वारा आगे से कभी भी किसी भी चिकित्सा पद्धति को नीचा दिखाने वाला बयान नहीं दिया जाएगा.
हालांकि कोर्ट की सख्त टिप्पणी के एक दिन बाद ही, पतंजलि ने मीडिया बयान जारी कर कहा "वो अपने प्रोडक्ट्स के बारे में कोई भी 'झूठा विज्ञापन या प्रचार' नहीं कर रही है. इसके लिए शीर्ष अदालत अगर कोई जुर्माना लगाना चाहे तो उसे कोई दिक्कत नहीं होगी. साथ ही अगर वो कोई भ्रामक दावा करते हैं तो उन्हें मौत की सजा दे दी जाए."
इसके बाद भी पतंजलि झूठे विज्ञापन को चलाता रहा. जिसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि और उसके MD आचार्य बालकृष्ण को अवमानना नोटिस भेज दिया.
इसके बाद शीर्ष अदालत ने सार्वजनिक रूप से उसके आदेशों की अवहेलना करने के लिए पतंजलि और एमडी आचार्य बालकृष्ण को अवमानना नोटिस दिया, क्योंकि कंपनी ने वादा करने के बाद भी अपने झूठे विज्ञापन चलाना जारी रखा.
शीर्ष अदालत अगले दो सप्ताह में मामले की सुनवाई करेगी. उस समय बाबा रामदेव (Baba Ramdev) और आचार्य बालकृष्ण दोनों व्यक्तिगत रूप से अदालत के सामने उपस्थित रहेंगे.