अपने देश में गोल्ड यानी सोना निवेश का ऐसा माध्यम है, जिसमें लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए आपको कभी भी किसी व्यक्ति को ज्यादा समझाना या मनाना नहीं पड़ेगा. दूर-दराज इलाकों से लेकर महानगरों तक, कम पढ़े लिखे लोगों से लेकर बेहद जानकार निवेशकों तक, सोने के प्रति जबरदस्त आकर्षण अपने देश में हमेशा से रहा है.
सोने के गहनों या गिन्नियों में पैसे लगाना तो हमारे लिए किसी सदियों पुराने रिवाज जैसा रहा है. लेकिन तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल और बेहतर जागरूकता के कारण पिछले कुछ बरसों के दौरान गोल्ड ETF या डिजिटल गोल्ड में इनवेस्टमेंट का रुझान काफी बढ़ा.
मगर 1 अप्रैल 2023 से इनकम टैक्स से जुड़े नियमों में कुछ ऐसे बदलाव हुए हैं, जिनकी वजह से अब सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) को सोने में निवेश का सबसे बेहतर विकल्प कहा जाने लगा है.
गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानी गोल्ड ETF की सबसे बड़ी खूबी ये है कि इनके जरिए फिजिकल गोल्ड खरीदे बिना ही सोने में निवेश किया जा सकता है. गोल्ड ETF खरीदने वाले को न तो सोने की शुद्धता की चिंता करनी पड़ती है और न ही उसे लॉकर में सुरक्षित रखने पर खर्च करना होता है.
इसके साथ ही, टैक्स से जुड़े नियमों के तहत गोल्ड ETF में किए गए निवेश को हाल तक नॉन-इक्विटी एसेट माना जाता था और उनकी यूनिट्स को तीन साल या उससे ज्यादा समय बाद बेचने पर हुए मुनाफे को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) मानते हुए उस पर इंडेक्सेशन बेनिफिट भी मिलता था. इसे एडजस्ट करने के बाद हुए मुनाफे पर अधिकतम 20% की दर से टैक्स देना होता था. इन तमाम खूबियों ने गोल्ड म्यूचुअल फंड या गोल्ड ETF को काफी लोकप्रिय बना दिया था.
भारत सरकार ने 1 अप्रैल 2023 से नियमों में बड़ा बदलाव कर दिया है. जिसके चलते अब गोल्ड ETF यूनिट्स को कितने भी समय तक रखने के बाद बेचा जाए, उस पर होने वाले मुनाफे पर स्लैब रेट के हिसाब से ही टैक्स देना होगा. तीन साल या उससे ज्यादा समय बाद बेचने पर भी कोई इंडेक्सेशन बेनिफिट या अधिकतम 20% LTCG टैक्स जैसा कोई लाभ अब नहीं मिलेगा.
गोल्ड ETF में निवेश का टैक्स बेनिफिट खत्म करने वाला नया नियम ही 1 अप्रैल 2023 से डेट म्यूचुअल फंड्स (Debt Mutual Funds) पर भी लागू हो गया है. जाहिर है कि अब डेट फंड में निवेश करना भी पहले से कम फायदेमंद रह गया है.
लेकिन सरकार की तरफ से जारी किए जाने वाले सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) पर टैक्स बेनिफिट अब भी जारी है. SGB में किए गए निवेश पर सालाना 2.5% की दर से रिटर्न मिलता है, जिस पर स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है.
लेकिन 8 साल के मैच्योरिटी पीरियड के बाद रिडीम कराने यानी भुनाने पर मिलने वाली रकम पर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना होता. इतना ही नहीं, SGB को 8 साल से पहले भुनाने पर भी उस पर इंडेक्सेशन बेनिफिट का फायदा मिलता है. यानी टैक्स बेनिफिट के लिहाज से अब सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड न सिर्फ गोल्ड ईटीएफ, बल्कि डेट फंड के मुकाबले भी काफी बेहतर विकल्प बन चुका है.
सॉवरेन गोल्ड बांड पर सिर्फ फिक्स्ड रिटर्न ही नहीं, सोने में तेजी का लाभ भी मिलता है. ऐसा इसलिए क्योंकि एसजीबी का मूल्य सोने की कीमत से जुड़ा होता है. यानी अगर बाजार में सोने का भाव बढ़ता है, तो गोल्ड बांड की वैल्यू भी बढ़ती है. इससे निवेशकों को SGB में निवेश की गई रकम पर न सिर्फ सालाना रिटर्न मिलता है, बल्कि निवेश की गई पूंजी भी सोने के दाम के साथ-साथ बढ़ती रहती है.
जैसा कि नाम से ही पता चलता है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में लगाए गए पैसों पर सालाना रिटर्न और मैच्योरिटी के वक्त लागू दर के हिसाब से पूरी रकम वापस करने की गारंटी खुद सरकार देती है. यह खूबी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तरफ से साल में कई बार जारी किए जाने वाले इस बॉन्ड को बेहद सुरक्षित निवेश बना देती है. इन तमाम खूबियों की वजह से ही सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश का रुझान तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले दिनों में और भी बढ़ने के आसार हैं.