भारत में फॉर्मा सेक्टर में कई कंपनियां हैं लेकिन सतत वृद्धि के मामले में सभी कंपनियां सन फार्मा से पीछे हैं. सन फार्मा भारत की सबसे बड़ी दवा निर्माता कंपनी है. निश्चित रूप से इस सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ कंपनी के चेयरमैन दिलीप संघवी का है. सन फार्मा ग्रुप की तीन कंपनियों सन फार्मा, सन फार्मा एडवांस्ड रिसर्च और रैनबैक्सी लैब्स के मालिक हिस्सेदारी संघवी का यह सफर आसान नहीं था.
5 लोगों के साथ मिलकर खोला था दवा प्लांट
कोलकाता में फार्मा होलसेलर के तौर पर कामकाज शुरू करने वाले दिलीप संघवी ने सन फार्मा का गठन 1983 में किया. सिर्फ 5 लोगों और 5 दवाओं के साथ पहला प्लांट लगाने वाली सन फार्मा का मार्केट कैप 2.10 लाख करोड़ रुपए के पार निकल गया है. कंपनी की सालाना बिक्री 4.2 अरब डॉलर है. पिछले दो सालों में सन फार्मा ने प्रतिस्पर्धी फार्मा कंपनी रैनबैक्सी समेत करीब 13 कंपनियों का अधिग्रहण किया है. अपने समकालीनों के उलट सांघवी हमेशा अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहे हैं. जब विदेश में उपक्रम लगाने की बारी आई तो उन्होंने केवल अमेरिकी बाजार पर ध्यान दिया, जो दुनिया का बड़ा दवा बाजार है. निवेशकों ने इसे सराहा.
घाटे में चल रही कंपनियों को मुनाफे में बदलने में माहिर
1955 में मुंबई में जन्मे दिलीप संघवी को घाटे में चल रही कंपनियों को खरीदकर उनकी काया पलटने के लिए जाना जाता है. दिलीप संघवी हमेशा कंपनी को सस्ते में खरीदने में विश्वास रखते हैं. कंपनी ने पहला सौदा 1987 में किया. लंबी सौदेबाजी के बाद अमेरिका की कैरको फार्मा दिलीप संघवी की पहली बड़ी खरीद थी. ये सौदा 5 करोड़ डॉलर में हुआ. इसके बाद दिलीप संघवी ने अमेरिका में ही दो और कंपनियों वैलिएंट और एबल फार्मा को खरीदा. घाटे में चल रही इन फार्मा कंपनियों की आज सन फार्मा की आमदनी में बड़ी हिस्सेदारी है.
सन फार्मा बनी देश की सबसे फार्मा कंपनी
पिछले चार साल में दो बड़ी कंपनियों के अधिग्रहण ने दिलीप संघवी को फार्मा सेक्टर का किंग बना दिया है. ये दिलीप संघवी की लीडरशिप का ही कमाल है कि 30 साल पहले शुरू हुई सन फार्मा आज देश की सबसे बड़ी फार्मा कंपनी बन गई है. ये दिलीप संघवी की दूरदृष्टि का ही नतीजा है कि उनकी हर खरीद स्ट्रैटेजिक तौर पर सही साबित हुई. हर खरीद के साथ कंपनी के लिए नए बाजार खुलते चले गए. इनमें भी इजरायल की टैरो फार्मा का अधिग्रहण कंपनी के लिए गेम चेंजर साबित हुआ. 45 करोड़ डॉलर में हुए सौदे के बाद आज टैरो की सन फार्मा की आमदनी में 50 फीसदी की हिस्सेदारी है.
नहीं टूटने दिया निवेशकों का भरोसा
दिलीप संघवी की लीडरशिप पर बाजार को भी पूरा भरोसा है. 1994 में जब सन फार्मा का आईपीओ आया तो इसमें 55 गुना बोली लगी थी. दिलीप संघवी ने कभी निवेशकों के भरोसे को तोड़ा भी नहीं. पिछले 5 साल में बाजार ने निवेशकों को जहां मामूली मुनाफा कमाकर दिया है वहीं सन फार्मा का मार्केट कैप बढ़कर 5 गुना हो गया है. दिलीप संघवी की इसी काबिलियत का कमाल है कि भारत में फोर्ब्स की अमीरों की लिस्ट में दिलीप तीसरे नंबर पर आ गए हैं.