PNB मेटलाइफ इंडिया इंश्योरेंस मौजूदा समय में स्मॉल कैप फंड के लेबल के तहत एक यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान बेच रही है. ये इंश्योरेंस की मिस-सेलिंग है. ऐसा इसलिए क्योंकि ULIPs वो इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स होते हैं जिनके प्रीमियम के एक हिस्से का शेयर बाजार में निवेश किया जाता है. दूसरा हिस्सा लाइफ कवर में जाता है. ये वो राशि होती है जो पॉलिसीधारक के मौत होने पर उसके नॉमिनी को मिलती है.
स्मॉल कैप लेबल का इस्तेमाल म्यूचुअल फंड्स उन स्कीम्स को बताने के लिए करते हैं जो शेयर बाजार में निवेश करती हैं. म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री और इन स्कीम्स पर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया के बनाए गए नियम लागू होते हैं. इन नियमों के तहत म्यूचुअल फंड्स को इन निवेश में शामिल जोखिम के स्तर को साफ तौर पर बताना होता है. स्मॉल कैप फंड्स से जुड़ा जोखिम बहुत ज्यादा होता है.
PNB मेटलाइफ के मामले में विज्ञापन में कहा गया है कि इस पॉलिसी में इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में शामिल निवेश का जोखिम पॉलिसीधारक उठाता है, लेकिन पॉलिसीधारक को जोखिम के बारे में अतिरिक्त जानकारी नहीं दी जाती.
ULIPs का लॉक इन पीरियड पांच साल का होता है. इस अवधि के पूरे होने के बाद ही आंशिक या पूरे विद्ड्रॉल की इजाजत मिलती है. म्यूचुअल फंड स्कीम्स के लिए ऐसा कोई लॉक इन पीरियड नहीं होता.
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के मुताबिक SEBI और इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को मामले की जानकारी है और रेगुलेटरी तालमेल से इन दोनों को इसकी जानकारी मिल गई है. व्यक्ति ने कहा कि इंश्योरेंस रेगुलेटर इस मामले में मिस-सेलिंग को रोकने के लिए एक्शन ले सकती है.
कंपनी ने NDTV Profit के सवाल का ईमेल पर जवाब देकर बताया कि हमारा मानना है कि विज्ञापन से किसी भी तरह प्रोडक्ट को लेकर गुमराह नहीं किया जाता. PNB मेटलाइफ ग्राहकों को अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेज के बारे में पारदर्शी और सटीक जानकारी देने के लिए प्रतिबद्ध है. हम पॉलिसीधारकों को कोई फैसला लेने से पहले अपने लक्ष्यों और जोखिम की क्षमता पर ध्यान से विचार करने को कहते हैं.