देश में इस बार प्याज नहीं आलू की कीमतें लोगों को परेशान कर रही हैं. वही आलू जो करीब-करीब हर सब्जी में घुस जाता है और जिसके कारण लोगों के किचन का बजट बढ़ रहा है. आलू (Potato) की कीमतें में बढ़ोतरी लगातार हो रही है. खाद्य तेल की कीमतें भी फिर से बढ़ने लगी हैं. हालांकि टमाटर और प्याज की कीमतों में एक महीने पहले से कमी आई है.
नवंबर में चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद आलू की कीमतों में दिसंबर में भी तेजी जारी है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में आलू की कीमतें 37.59 रुपये किलो तक पहुंच गई हैं. हालांकि बाजारों में इसकी खुदरा कीमत 50 से 60 रुपये प्रति किलो के बीच चल रही है.
आलू की कीमतों में ग्रोथ तब हुई है जब नवंबर में भारत की रिटेल महंगाई घटकर 5.48% रह गई. जबकि अक्टूबर में यह 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21% पर थी. इस दौरान कुछ खाद्य पदार्थों की कीमतों में भी कमी आई है.
क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स (रिसर्च) के डायरेक्टर पुशन शर्मा के अनुसार, मार्च में बेमौसम भारी बारिश के कारण पश्चिम बंगाल में आलू की फसल को हुए नुकसान के कारण कीमतों में बढ़ोतरी हुई है.
शर्मा ने बताया कि कम आवक और कम पैदावार के कारण कोल्ड स्टोरेज स्टॉक में कमी आई, जिसके कारण पिछले साल के निचले आधार से आलू की कीमतों में साल-दर-साल तेज बढ़ोतरी हुई. ऐसा तब हुआ जब भारत की रिटेल महंगाई नवंबर में घटकर 5.48% रह गई, जबकि अक्टूबर में ये 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21% पर थी. इस दौरान खाद्य कीमतों में कमी आई है.
नवंबर में फूड एंड बेवरेजेज की महंगाई अक्टूबर के 9.69% से घटकर 8.2% हो गई है. RBI के अनुमानों के मुताबिक, CPI महंगाई 5.7% रहने का अनुमान है. आगे चलकर, सब्जियों की कीमतों में मौसमी कमी और खरीफ फसल की आवक के साथ चौथी तिमाही में खाद्य महंगाई में नरमी आने की संभावना है.
RBI ने कहा है कि मिट्टी की नमी की स्थिति और जलाशय स्तर रबी की फसल प्रोडक्शन के लिए अच्छा संकेत है और जनवरी-मार्च 2025 तिमाही में महंगाई 4.5% रहने का अनुमान है.