ग्राहकों को जनवरी से टेलीविजन (Television) खरीदने के लिए अधिक भुगतान करना पड़ सकता है. मैन्युफैक्चरर अस्थिरता और सप्लाई के बीच बढ़ती शिपिंग लागत से जूझ रहे हैं. ये सभी मुद्दे महामारी के बाद से बने हुए हैं. पिछले दो वर्षों में पहले ही कीमतों में 20-30% की बढ़ोतरी हो चुकी है. अब, कंपनियां इन बढ़ती लागतों की भरपाई के लिए 10% की बढ़ोतरी की उम्मीद कर रही हैं.
सुपर प्लास्ट्रोनिक्स प्राइवेट के CEO अवनीत सिंह मारवाह ने कहा, 'जियोपोलिटिकल तनाव के कारण माल ढुलाई दरों में 30-35% की बढ़ोतरी हुई है. हम अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के अब तक के सबसे निचले स्तर को भी देख रहे हैं, जिससे लागत का बोझ और बढ़ रहा है. इसलिए, 2022 से शुरू होने वाले स्मार्ट TV की कीमतों में निश्चित रूप से लगभग 10% की बढ़ोतरी होगी.
लॉयड, रियलमी, तोशिबा और दाइवा जैसे ब्रैंडो के लिए स्मार्ट TVs का कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर वीडियोटेक्स इंटरनेशनल भी मैटेरियल और शिपिंग लागत में उतार-चढ़ाव की बारीकी से निगरानी कर रहा है. कंपनी के डायरेक्टर अर्जुन बजाज ने कहा, 'मार्केट की स्थितियों के आधार पर 7-10% की बढ़ोतरी की आशा कर रहे हैं.'
मारवाह ने आगे कहा कि चीनी सरकार जनवरी से ओपन सेल निर्माताओं को दी जाने वाली मॉनेटरी सपोर्ट वापस ले सकती है. इससे TV पैनलों की कीमतें और बढ़ेंगी. टेलीविजन की कीमत का लगभग 60-65% स्क्रीन बनाने वाले ओपन सेल पैनल की लागत है.
वर्तमान में, भारत में ओपन सेल के स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग नहीं होती है. इसलिए ये ताइवान की कंपनियों इनोलक्स और AUO और हांगकांग स्थित HKC के अलावा BOE डिस्प्ले और TCL CSOT जैसी चीनी कंपनियों पर बहुत अधिक निर्भर है. इन रॉ सेल्स को आयात किया जाता है और फिर TV सेटों में इस्तेमाल किया जाता है.
आगामी बजट में, इंडस्ट्री को उम्मीद है कि सरकार TV पैनलों के लिए ओपन सेल पर बुनियादी कस्टम्स ड्यूटी को खत्म कर देगी. जिससे बड़े स्क्रीन वाले TV की कीमत काफी कम हो सकती है. 2023 में घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने के लिए इन ड्यूटी को आधा कर 2.5% कर दिया गया. डिमांड में कमी का सामना कर रहे टीवी मैन्युफैक्चरर के अनुरोध पर सरकार ने 2019 में ओपन सेल पर एक साल की कस्टम्स ड्यूटी छूट भी दी थी.
काउंटरप्वाइंट रिसर्च का अनुमान है कि 2024 में भारत के TV बाजार में साल-दर-साल 3% की गिरावट आएगी क्योंकि कंपनियां इन्वेंट्री स्तर को मैनेज करने के लिए शिपमेंट कम कर रही हैं। काउंटरप्वाइंट की सीनियर एनालिस्ट अंशिका जैन ने कहा, 'इसके अलावा, छोटे स्क्रीन वाले TV के शिपमेंट में भी गिरावट आई है, जो आम तौर पर बाजार के लिए वॉल्यूम ड्राइवर होते हैं, जिससे ओवरआल मार्केट परफॉरमेंस पर असर पड़ रहा है.
पहली छमाही में नरमी के बाद अंशिका जैन को कई बिक्री कार्यक्रमों और त्योहारी प्रस्तावों के कारण दूसरी छमाही में सुधार की उम्मीद है. लेकिन ये बिक्री बढ़ाने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है. खासकर बजट और एंट्री-लेवल सेगमेंट के लिए अपेक्षित प्राइस बढ़ोतरी से शिपमेंट में और कमी आ सकती है.
बजाज को वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में पॉजिटिव आउटलुक की उम्मीद है. कंपनी रणनीतिक रूप से बड़े साइज के प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देने की दिशा में आगे बढ़ रही है. अब तक तीसरी तिमाही में उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री पिछले साल की तुलना में 10-20% बढ़ गया है.