एक इंटरव्यू में पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने नोटबंदी से जुड़े मुददों पर अपनी बात रखी है. नोटबंदी के बाद आर्थिक वृद्धि के मामले में भारत के चीन से पिछड़ने पर भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि सरकार को दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था को लेकर अपना सीना तब तक नहीं ठोकना चाहिये जब तक कि लगातार दस साल तक मजबूती जीडीपी वृद्धि हासिल नहीं कर ली जाती है.
राजन ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारत संस्कृति और इतिहास जैसे मुद्दों पर तो दुनिया में बढ़चढ़कर अपनी बात कह सकता है, लेकिन वृद्धि के मोर्चे पर उसे ऐसा तभी ऐसा करना चाहिए जब वह दस साल तक 8 से 10 प्रतिशत की उच्च आर्थिक वृद्धि दर हासिल कर लेता है. दो दशक में राजन रिजर्व बैंक के एकमात्र गवर्नर रहे हैं जिन्हें दूसरा कार्यकाल नहीं मिला है. पिछले साल अप्रैल में उन्होंने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि तेजी से बढ़ता भारत ‘अंधों में काना राजा’ है. उस समय भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यन स्वामी ने उन्हें बर्खास्त करने की मांग करते हुए कहा था कि वह मानसिक रूप से पूरी तरह से भारतीय नहीं हैं.
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राजन ने कहा, ‘मैं कोई भविष्यवाणी नहीं कर रहा हूं. मैं सिर्फ यह कह रहा हूं कि खुद को लेकर अति उत्साह दिखाते समय हमें सतर्कता बरतनी चाहिए. यह टिप्पणी अप्रैल, 2016 में की गई थी. उसके बाद से प्रत्येक तिमाही में हमारी वृद्धि दर गिरी है.
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इसलिये जो हुआ है उसे देखते मैं कह सकता हूं.’ भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में घटकर 5.7 प्रतिशत पर आ गई है. यह इससे पिछली तिमाही में 6.1 प्रतिशत रही थी. दोनों तिमाहियों में चीन की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रही है. राजन ने कहा कि वृद्धि दर को आठ या नौ प्रतिशत पर पहुंचाने की जरूरत है. यह निजी निवेश बढ़ने अथवा निर्यात की स्थिति सुधरने पर ही होगा.(इनपुट भाषा से)