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सरकारी कंपनी RINL गंभीर वित्तीय संकट में, सरकार ने 1,650 करोड़ रुपये पूंजी डाली

RINL के तीन ब्लास्ट फर्नेस (BF) में से दो इस साल 28 अक्टूबर तक बंद थे, जब दूसरे ब्लास्ट फर्नेस को लगभग 4-6 महीने के बाद चालू किया गया था.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी08:42 AM IST, 04 Nov 2024NDTV Profit हिंदी
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वित्तीय दिक्कतों से गुजर रही सरकारी कंपनी RINL (Rashtriya Ispat Nigam Ltd) में सरकार ने करीब 1,650 करोड़ रुपये का निवेश किया है. PTI ने एक आधिकारिक दस्तावेज के हवाले से ये खबर दी है.

स्टील मंत्रालय ने एक नोट में कहा कि सरकार RINL को चालू हालत में रखने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी कंपनी SBICAPS, RINL की स्थिरता पर एक रिपोर्ट तैयार कर रही है.

'RINL गंभीर वित्तीय संकट में है'

इसमें कहा गया है, 'RINL गंभीर वित्तीय संकट में है और (स्टील) मंत्रालय वित्त मंत्रालय के परामर्श से RINL को चालू कंपनी बनाए रखने के लिए कई कदम उठा रहा है'

RINL यानी राष्ट्रीय इस्पात निगल लिमिडेट, स्टील मंत्रालय के तहत आने वाली एक स्टील मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है. इसके पास आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में 7.5 मिलियन टन का प्लांट है. कंपनी गंभीर वित्तीय और परिचालन संबंधी समस्याओं का सामना कर रही है.

RINL के तीन ब्लास्ट फर्नेस (BF) में से दो इस साल 28 अक्टूबर तक बंद थे, जब दूसरे ब्लास्ट फर्नेस को लगभग 4-6 महीने के बाद चालू किया गया था. RINL का कुल बकाया 35,000 करोड़ रुपये से ऊपर चला गया है.

जनवरी 2021 में, आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने RINL, जिसे विशाखापत्तनम स्टील प्लांट या वाइजैग स्टील भी कहा जाता है, इसमें सरकारी हिस्सेदारी के 100% विनिवेश के लिए निजीकरण के जरिए रणनीतिक विनिवेश से अपनी सहायक कंपनियों/संयुक्त वेंचर्स में RINL की हिस्सेदारी के साथ 'सैद्धांतिक' मंजूरी दे दी.

यूनियन की नाराजगी

कंपनी के निजीकरण के सरकार के फैसले को वर्कर्स यूनियन की नाराजगी झेलनी पड़ी. जो कंपनी के सामने आने वाले संकट के प्रमुख कारणों में से एक के रूप में RINL को कैप्टिव लौह अयस्क खदानों का लाभ नहीं मिलने का हवाला देते हैं.

RINL के निजीकरण का विरोध कर रहे एक यूनियन के नेता जे अयोध्या राम ने कहा, 'RINL के पास कभी कैप्टिव खदानें नहीं थीं. बाकी सभी प्राथमिक इस्पात निर्माता जो ब्लास्ट फर्नेस के जरिए स्टील बनाते हैं, कैप्टिव खदानों का लाभ उठाते हैं. इससे कच्चे माल की लागत में मदद मिलती है. हमने लौह अयस्क हमेशा बाजार भाव पर ही खरीदा है. 'आप इसमें परिवहन लागत भी जोड़ें'

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