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अभी नहीं थमेगी रुपये की कमजोरी, SBI रिपोर्ट्स का दावा, '8-10% की गिरावट और आएगी'

इस रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में थोड़े समय के लिए गिरावट आ सकती है, जिसके बाद इसमें बढ़ोतरी हो सकती है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी10:06 AM IST, 12 Nov 2024NDTV Profit हिंदी
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डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है, मंगलवार को भी रुपया 84.39 पर खुला है. रुपये में ये कमजोरी कब तक जारी रहेगी और ये गिरावट अभी कितनी बची है. इस पर SBI रिसर्च रिपोर्ट का कहना है कि ट्रंप 2.0 में रुपया डॉलर के मुकाबले अभी 8-10% और टूटेगा. सोमवार को रुपये ने नया ऑल टाइम लो बनाया था.

क्या कहती है SBI की रिसर्च रिपोर्ट

SBI की रिसर्च रिपोर्ट का टाइटल है 'US Presidential Election 2024: How Trump 2.0 Impacts India’s and Global Economy'. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि डॉनल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति चुने जाने पर भारत की अर्थव्यवस्था पर कैसे असर पड़ेगा. इस रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में थोड़े समय के लिए गिरावट आ सकती है, जिसके बाद इसमें बढ़ोतरी हो सकती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के 47 वें राष्ट्रपति के रूप में डॉनल्ड जे ट्रंप की ऐतिहासिक वापसी ने बाजारों और कुछ चुनिंदा एसेट क्लास में मॉर्फिन शॉट यानी नई ताकत दी है, जबकि अब ध्यान बड़े पैमाने पर आर्थिक असर और सप्लाई चेने के पुनर्गठन पर फोकस हो रहा है.

रिपोर्ट कहती है कि ट्रंप की जीत भारत के लिए चुनौतियों और अवसरों का एक मिश्रण पेश करती है. हालांकि बढ़े हुए टैरिफ, H1-1B वीजा के प्रतिबंध और मजबूत डॉलर शॉर्ट टर्म में अस्थिरता ला सकते हैं, लेकिन ये भारत को अपने मैन्युफैक्चरिंग का विस्तार करने, एक्सपोर्ट मार्केट्स में विविधता लाने और आर्थिक आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए लॉन्ग टर्म में एक प्रोत्साहन भी देता है.

रुपया थोड़े समय के लिए गिरेगा, फिर उठेगा

10 साल की बॉन्ड यील्ड में साफ साफ कोई ट्रेंड नहीं दिखता है, आगे चलकर ये परिस्थितियों पर निर्भर करेगा. SBI रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉलर/रुपये में एक सीमित दायरे में ट्रेड दिखाई दे रहा है, रुपया भले ही थोड़े समय के लिए गिर सकता है, लेकिन बाद में इसमें मजबूती लौट सकती है. जहां तक भारतीय शेयर बाजार का सवाल है, इसमें गिरावट के संकेत दिख रहे हैं.

लगातार चौथे सेशन में गिरावट के साथ, सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 2 पैसे गिरकर 84.39 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया, लगातार विदेशी फंड्स के पैसे निकालने और घरेलू इक्विटी में सुस्त रुख के कारण रुपये में ये कमजोरी देखने को मिल रही है.

फॉरेक्स ट्रेडर्स का कहना है कि जब तक डॉलर इंडेक्स में नरमी नहीं आती या विदेशी फंड का आउटफ्लो बंद नहीं होता, तब तक रुपये पर दबाव बने रहने की संभावना है.

हालांकि रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर देती है कि 'ये डर' कि रुपये में भारी गिरावट आएगी, इसका कोई आधार नहीं है. ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान रुपये में 11% की गिरावट आई थी, जो कि मौजूदा बाइडेन प्रशासन के कार्यकाल के दौरान हुई गिरावट से कम है.

SBI की रिसर्च रिपोर्ट

  • डॉलर के मुकाबले रुपये में थोड़े समय के लिए गिरावट आ सकती है, जिसके बाद बढ़ोतरी हो सकती है

  • ट्रंप की ऐतिहासिक वापसी ने बाजारों और कुछ चुनिंदा एसेट क्लास में मॉर्फिन शॉट यानी नई ताकत दी है

  • जबकि अब ध्यान बड़े पैमाने पर आर्थिक असर और सप्लाई चेने के पुनर्गठन पर फोकस हो रहा है.

  • डॉनल्ड ट्रंप की जीत भारत के लिए चुनौतियों और अवसरों का एक मिश्रण पेश करती है

  • बढ़े हुए टैरिफ, H1-1B वीजा के प्रतिबंध और मजबूत डॉलर शॉर्ट टर्म में अस्थिरता ला सकते हैं

  • भारत को मैन्युफैक्चरिंग विस्तार, एक्सपोर्ट मार्केट्स में विविधता लाने के लिए लॉन्ग टर्म में प्रोत्साहन भी देते हैं

  • 10 साल की बॉन्ड यील्ड में साफ साफ कोई ट्रेंड नहीं दिखता है, आगे ये परिस्थितियों पर निर्भर करेगा.

एक्सपोर्ट से जुड़े सेक्टर्स को फायदा

रिसर्च रिपोर्ट कहती है कि भले ही मजबूत डॉलर की वजह से शॉर्ट टर्म में आउटफ्लो देखने को मिल सकता है, क्योंकि निवेशक डॉलर-बेस्ड एसेट्स की ओर आकर्षित होते हैं, एक पॉजिटिव नोट पर, कमजोर रुपया एक्सपोर्ट से जुड़े कई सेक्टर्स जैसे कपड़ा, मैन्युफैक्चरिंग, कृषि की कमाई को बढ़ा सकता है. फिर भी, हम ट्रंप 2.0 के दौरान रुपये में 8-10% की गिरावट का अनुमान लगा रहे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक रुपये की कमजोरी से तेल और बाकी चीजों की इंपोर्ट लागत बढ़ सकती है. हमारे अनुमान के मुताबिक रुपये में 5% की गिरावट से महंगाई 25-30 bps बढ़ जाएगी. इसलिए, महंगाई पर असर बहुत कम होगा.

रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप 2.0 के दौरान भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में बदलाव देखने को मिल सकता है. ट्रंप 1.0 के दौरान अमेरिका में निवेश को वापस आकर्षित करने के मकसद से महत्वपूर्ण बदलाव किए गए थे और ये आकड़ों में साफ तौर पर दिखा भी था.

FDI का ट्रेंड बदला

रिपोर्ट कहती है कि भारत अब FDI के ट्रेडिशन स्रोतों पर निर्भर नहीं है, हाल के दिनों के उलट, अब FDI कई नए क्षेत्रों जैसे गैर-पारंपरिक ऊर्जा, समुद्री परिवहन, मेडिकल और सर्जिकल अप्लायंसेज वगैरह में आ रहा है. ये ट्रेंड आगे भी जारी रह सकता है, ऐसे में होगा ये कि ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के दौरान पारंपरिक क्षेत्रों में FDI में गिरावट की भरपाई हो सकती है.

अगर ट्रंप सरकार H-1B वीजा कार्यक्रम, भारतीय IT को सीमित करने का विकल्प चुनता है और ITeS सेक्टर के लिए लागत बढ़ सकती है, इससे अमेरिका में काम कर रही भारतीय IT कंपनियों की नियुक्ति क्षमताओं पर असर पड़ सकता है.

इससे भारतीय कंपनियों को अमेरिका में ऊंची लागत पर स्थानीय स्तर हायरिंग करनी पड़ सकती है, जिससे कंपनियों के मार्जिन पर दबाव पड़ सकता है. ट्रप 1.0 के दौरान अमेरिका की ओर से किए जाने वाले गैर-आप्रवासी वीजा बड़े पैमाने पर सालाना 10 लाख तक स्थिर रहे. हालांकि, 2023 में लगभग 14 लाख भारतीयों को गैर-आप्रवासी वीजा मिला.

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